नई दिल्ली। समाज के विभिन्न धर्मों के गुरूओं और बुद्धिजीवियों ने आज राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करने का संकल्प लिया। इस मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के एक दिन बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निवास पर देश के प्रमुख धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों की एक बैठक हुई। बैठक का उद्देश्य धर्मगुरूओं के साथ संवाद और संपर्क के माध्यम से सभी समुदायों के बीच भाईचारे की भावना को मजबूत बनाना था।
सूत्रों के अनुसार बैठक में सभी ने कानून के शासन और देश के संविधान में पूरा विश्वास जताते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करने का संकल्प व्यक्त किया और सभी देशवासियों से इसका पालन करने की अपील की। सभी ने इस बात को जोर देकर कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। उन्होंने शांति, सांप्रदायिक सदभावना बनाये रखने और कानून के शासन में सरकार को पूरा सहयोग देने की बात कही। सूत्रों ने कहा कि सभी प्रतिभागी इस बात से सहमत थे कि देश के भीतर और बाहर कुछ राष्ट्र विरोधी तथा शत्रु तत्व इस स्थिति का फायदा उठाकर राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
धर्मगुरूओं ने सरकार के शांति और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए उठाये गये कदमों को समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि दोनों समुदायों के लाखों लोगों ने जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और संयम का परिचय देते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार किया। सभी ने विभिन्न समुदायों के बीच भविष्य में भी संवाद बनाये रखने पर जोर दिया। उन्होंने देश में शांति और सुरक्षा की स्थिति बनाये रखने के लिए सरकार को बधाई दी। बैठक में बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद , शिया धार्मिक नेता मौलाना कल्बे जवाद और स्वामी चिदानंद सरस्वती सहित अनेक धर्मगुरूओं ने हिस्सा लिया।