नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने आज कहा कि देश के वैज्ञानिकों ने अब तक फसलों की 5000 किस्मों का विकास किया है जिनमें से 1100 किस्में पिछले पांच साल के दौरान विकसित की गयी हैं। डॉ महापात्रा ने राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन - रबी अभियान 2019 को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से पिछले पांच साल के दौरान रिकार्ड संख्या में फसलों का विकास किया गया है।
पिछले तीन साल के दौरान फसलों की आधी ऐसी किस्मों का विकास किया गया है जो जलवायु परिवर्तन के खतरों को झेल सकता है और कुपोषण की समस्या को दूर कर सकता है। अलग-अलग क्षेत्रों के लिए उसकी जरूरतों के अनुसार अलग-अलग किस्मों का विकास किया गया है। उन्होंने कहा कि कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए 45 बायोफोर्टिफायड किस्मों का विकास किया गया है। इन किस्मों को आहार का हिस्सा बनाकर विटामिन ए, जींक, आयरन और प्रोटीन की कमी दूर की जा सकती है।
गेहूं की अनेक ऐसी किस्में विकसित की गयी हैं जो बायोफर्टिफायड है। दलहनों की कई किस्मों को भी बायोफर्टिफायड किया गया है। डॉ महापात्रा ने कहा कि मक्का में होने वाले फाल आर्मी वर्म, कपास में होने वाले पिंक वॉल वर्म और गेहूं के रतुआ रोग तथा कई अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए पर्याप्त उपाय किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को कोई समस्या आती है तो वे कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों की सलाह और सेवाएं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि परिषद ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अनेक योजनायें तैयार की है और उसे राज्यों को उपलब्ध कराया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन योजनाओं को अपनाने से किसानों की आय निश्चित रूप से बढ़ेगी।