नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए कईं बार कड़े फैसले लेने पड़ते हैं और इनसे कुछ समय के लिए परेशानी होती है लेकिन ये सब जनता की भलाई और देश के विकास को ध्यान में रख कर लिए जाते हैं। शाह ने मंगलवार को यहां अखिल भारतीय प्रबंधन परिसंघ के 46 वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्च में भारत की वैश्विक स्तर पर नयी पहचान बनी है और पूरा विश्व भारत की आवाज को सुनता है और उन्होंने एक नए भारत की कल्पना की है जो समृद्ध और हर तरह से सक्षम हो। उन्होंने कहा कि आज मोदी का जन्मदिन है और हम सभी यही कामना करते हैं कि वह स्वस्थ रहें और लंबे समय तक देश का नेतृत्च करते रहें।
शाह ने कहा कि आज ही के दिन सरदार पटेल ने हैदराबाद को निजाम के शासन से मुक्ति दिलाकर उसे भारतीय संघ का हिस्सा बनाकर अपनी दृढ़ नीति का परिचय दिया था और मोदी ने उन्हीं की तरह नए भारत की कल्पना की है और कुछ लक्ष्य भी तय किए हैं। शाह ने कहा कि आज से पांच वर्ष पहले भारत की स्थिति कुछ और थी और अब 2019 का भारत अपने आप में इतना सक्षम है कि अपनी सुरक्षा की खातिर सर्जिकल स्ट्राइक करके दुश्मनों में खौफ पैदा करने से भी पीछे नहीं हटता है और यह सब मोदी जी के नेतृत्व में ही संभव हो सका है। शाह ने कहा ,‘‘ 2013 में देश की हालत क्या थी सब को पता है जब गठबंधन वाली एक लाचार सरकार के शासन काल में दुश्मन हमारे सैनिकों के सिर काटते से भी बाज नहीं आते थे और उस सरकार में एक प्रधानमंत्री थे लेकिन मंत्रिमंड़ल का हर मंत्री अपने आपको प्रधानमंत्री से कम नहीं मानता था। उस समय देश की आर्थिक हालत बहुत दयनीय थी और आंतरिक स्तर पर भी स्थिति खराब थी।’’
गृह मंत्री ने कहा कि मोदी हमेशा देश की जनता के कल्याण की बात सोचते हैं और यही कारण है कि 2014 में सत्ता में आते ही उन्होंने गरीब लोगों की बैंकिंग सेक्टर तक पहुंच बनाने के लिए जनधन योजना के तहत सभी के बैंक खाते खुलवाए और देश में 2013 के मात्र 58 प्रतिशत के मुकाबले इस समय 99.4 प्रतिशत लोगों के बैंक खाते हैं। यह सरकार गरीबों की हितैषी सरकार है और 2014 से पहले देश में गैस कनेक्शन 13 करोड थे जो अब बढ़कर 27 करोड़ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी कठोर फैसले लेने में कभी नहीं हिचकिचाते हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति है। पांच अगस्त से लेकर अब तक कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है और न ही किसी व्यक्ति की मौत हुई है। इसके पीछे सरकार की दूरदर्शिता तथा फैसलों को कड़ाई से क्रियान्वित करने की नीति है।