चंद्रयान 2 की असफलता के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। गुरूवार को मैसूर में कुमारस्वामी ने कहा प्रधानमंत्री मोदी के इसरो में कदम रखने की वजह से विक्रम लैंडर का इसरो के साथ संपर्क टूट गया यह वैज्ञानिकों के लिए दुर्भाग्य बन गया। एचडी कुमारस्वामी ने कहा पीएम मोदी बेंगलुरु इसलिए आये थे ताकि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि वह खुद चंद्रयान -2 को उतार रहे थे। वैज्ञानिकों ने 10-12 साल तक कड़ी मेहनत की, मोदी सिर्फ प्रचार करने के लिए इसरो आये थे। बता दें प्रधानमंत्री मोदी चंद्रयान 2 की सॉफ्ट लैंडिंग देखने के लिए सात सितंबर की रात इसरो पहुंचे थे। बता दें कि लैंडर विक्रम दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग हो गया था।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम की साथ सितंबर तड़के 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी। बाद में इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया था। लैंडर बड़े आराम से नीचे उतर रहा था। लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेकिंग चरण को पूरा किया और अच्छी गति से चांद की सतह की ओर बढ़ रहा था। उसके बाद उसका संपर्क पृथ्वी से टूट गया। इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन बता चुके हैं ,”विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।”
हालांकि 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान 2 के मिशन का अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है। बता दें कि चंद्रयान- 2 के तीन हिस्से थे- ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। अभी भले ही लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया है लेकिन ऑर्बिटर से उम्मीद बाकी है। एक साल की मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी. से 127 किमी. की ऊंचाई पर घूम रहा है। इसका वजन 2379 किमी. है। इसमें 8 पेलोड भी लगे हुए हैं।