नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने आर्थिक सुस्ती को दूर करने के मकसद से उद्योग एवं कारोबारी जगत की मांग पर मालभाड़े में बड़ी रियायतों की गुरुवार को घोषणा की और कहा कि रेलवे इससे होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपायी मात्रा बढ़ा कर करेगी। रेलवे बोर्ड के सदस्य पी के मिश्रा ने यहां रेल भवन में संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में उद्योग एवं कारोबार जगत को बल देने के लिए माल के रेल परिवहन की लागत को घटाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि एक अक्टूबर से 31 मार्च और फिर एक अप्रैल से 30 जून तक लिये जाने वाले बिजी सीजन सरचार्ज तथा छोटे पार्सल पर लिया जाने वाला पांच प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाने का फैसला किया है।
इसके अलावा खाली कंटेनरों के हॉलेज पर लगने वाले शुल्क में एक चौथाई की कमी की गयी है। रेलवे ने इलैक्ट्रॉनिक रसीद प्रणाली शुरू कर दी है जिससे कागज ले जाने की जरूरत खत्म हो गयी है। मिश्रा ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में गत वर्ष की इसी अवधि में मालभाड़ा से अर्जित राजस्व की वृद्धि दर में कमी देखी गयी है लेकिन अर्जित राजस्व में कमी नहीं आयी है। पर इस रुझान को देखते हुए रेलवे ने विभिन्न हिस्सेदारों से अलग-अलग विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर ये कदम उठाने का फैसला किया है।
रेलवे ने माल ढुलाई में राजस्व के खाते को दुरुस्त रखने के लिए कई योजनाएं बनायीं हैं जिनमें छोटी दूरी के लिए कंटेनरों की बुकिंग शुरू करने तथा सीमेंट, ऑटोमोबाइल्स, छोटे पार्सल आदि क्षेत्र में विस्तार करना शामिल है। रेलवे ने वैगनों एवं कंटेनरों के तौलाई की प्रक्रिया को भी आसान बनाया है ताकि समय कम लगे। रेलवे की कुल माल ढुलाई का 49 प्रतिशत कोयला होता है और वित्त वर्ष 2019-2020 के पहले पांच माह में कोयला ढुलाई में करीब 15 फीसदी की कमी देखी गयी है। गत वित्त वर्ष में 122.3 करोड़ टन कोयले की ढुलाई हुई थी जबकि इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान करीब 50 करोड़ टन कोयला की ढुलाई हुई है। रेलवे के अनुसार यह आंकड़ा गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ढोये गये कोयले की मात्रा से कम नहीं है।