नई दिल्ली। लोकसभा के बाद बुधवार को एनआईए संशोधन विधेयक 2019 को राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का शक्ल ले लेगा। इस कानून से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का अधिकार मिल जाएगा। बिल को सोमवार को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। बुधवार को एनआईए बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल इसलिए लाया गया है कि एनआईए दुनिया में कहीं भी भारत के खिलाफ साजिश या देशविरोधी गतिविधियों के मामले की जांच कर सकेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति से एजेंसी की साख पर बुरा असर पड़ेगा।
विपक्ष ने जताई एनआईए के दुरुपयोग की आशंका- कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि करार देते हुए आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सरकार के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर की है, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दुुरुपयोग की भी आशंका जताई है। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी, सपा के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन समेत अन्य नेताओं ने राज्यसभा में एनआईए संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए यह आशंका व्यक्त की। सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और उनकी पार्टी इसके लिए सरकार के साथ है।
भारत-चीन सीमा पर सरकार शांति के लिए प्रतिबद्ध- राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर आमतौर पर शांति का माहौल है, लेकिन कभी-कभी स्थानीय स्तर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर धारणाओं में भिन्नता होने के कारण अप्रिय स्थितियां बन जाती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए औपचारिक प्रणालियां बनाई गई हैं और दोनों देश इन प्रणालियों का सम्मान करते हैं, ताकि सीमा पर शांति एवं स्थिरता कायम रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच गत वर्ष वुहान में हुई अनौपचारिक शिखर बैठक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस बैठक के दौरान भी दोनों पक्ष सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया था। दोनों देशों ने बाद में अपनी-अपनी सेनाओं के लिए सामरिक दिशानिर्देश भी जारी किए थे।