नई दिल्ली। रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने सड़क एवं आधारभूत ढाँचों को देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुये सोमवार को सवाल किया कि पेट्रोल-डीजल पर इस मद में एक-एक रुपया प्रति लीटर अधिभार लगाने के बावजूद केंद्रीय सड़क एवं आधारभूत ढाँचा कोष (सीआरआईएफ) के लिए आवंटन में कटौती क्यों की गयी। प्रेमचंद्रन ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से संबंधित अनुदान माँगों पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि बजट में वर्ष 2025 तक देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए बुनियादी ढाँचों पर प्रति वर्ष 200 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। अभी सालाना 100 से 110 अरब डॉलर के बीच इस मद में खर्च किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि यह 90 अरब डॉलर की राशि की कमी कहाँ से पूरी की जायेगी। आरएसपी सदस्य ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के काम की तारीफ की। लेकिन साथ ही सीआरआईएफ के लिए आवंटन कम किये जाने पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा, ‘‘सीआरआईएफ के लिए आवंटन 7,891 करोड़ रुपये से घटाकर 7,308 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जब आप पेट्रोल और डीजल पर सड़क एवं बुनियादी ढाँचा उपकर के नाम पर एक-एक रुपया प्रति लीटर उपकर लगा रहे हैं तो फिर सीआरआईएफ के आवंटन में कटौती पर पुनर्विचार किया जाना चाहिये।’’ प्रेमचंद्रन ने बुनियादी ढाँचों के विकास में धन की कमी को सबसे बड़ा व्यवधान बताया। साथ ही जमीन अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया और पर्यावरणीय मंजूरियों में होने वाली देरी को भी उन्होंने रेखांकित किया।