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सरोगेसी के नियमन संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 16 2019 12:22AM | Updated Date: Jul 16 2019 12:22AM
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नई दिल्ली। ‘किराये की कोख’ यानी सरोगेसी को देश में वैधानिक मान्यता देने तथा इसके लिए नियम तय करने संबंधी सरोगेसी विनियमन विधेयक, 2019 सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने इसे सदन में पेश किया। विधेयक में प्रावधान है कि संतान पैदा करने में असमर्थ विवाहित भारतीय दंपति को नैतिक सरोगेसी के इस्तेमाल की अनुमति होगी। इसमें महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष की के बीच और पुरुष की 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिये। उनके विवाह को कम से कम पाँच साल बीत जाने के बाद ही वे किराये की कोख का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस विधेयक में सरोगेट माँ का शोषण रोकने और उनका तथा सरोगेट बच्चों के  अधिकार तय करने का भी प्रावधान है। 
 
इसमें सरोगेसी के लिए मानव भ्रूण की  बिक्री या आयात पर कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम 10 लाख रुपये के  जुर्माने की व्यवस्था की गयी है। जिस महिला को सरोगेट माँ बनाया जायेगा उसका भारतीय नागरिक तथा संतान चाहने वाले दंपति का निकट संबंधी होना अनिवार्य होगा। साथ ही यह भी जरूरी किया गया है कि वह कभी न कभी शादीशुदा रही हो और उसकी अपनी संतान हो चुकी हो। उसकी उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होना जरूरी होगा। कांग्रेस के शशि थरूर ने समलैंगिक दंपतियों को भी सरोगेसी से संतान प्राप्ति का अधिकार देने तथा निजता का ध्यान रखने की माँग की। उन्होंने विवाह के बाद कम से कम पाँच साल तक इंतजार के प्रावधान का विरोध किया। 
 
विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों में कहा गया है कि भारत सरोगेसी का केंद्र बन चुका है। इसके अनैतिक तथा वाणिज्यिक इस्तेमाल के मामले भी सामने आ रहे थे। सरोगेसी के नियमन संबंधी कानून नहीं होने की वजह से सरोगेसी क्लीनिकों द्वारा इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा था। इन्हीं सब कारणों से यह विधेयक लाया गया है। विधेयक में राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरों पर सरोगेसी बोर्ड बनाने का भी प्रावधान है। इनका काम इस कानून को लागू करना होगा। यह कानून बन जाने के बाद सरोगेसी सेवा देने वाले हर क्लिनिक को पंजीकरण कराना होगा जो उसकी दक्षता, उपकरणों की उपलब्धता आदि के आधार पर होगा।
 
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