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ब्लैकमनी वालों को दूसरा मौका देगी मोदी सरकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 7 2019 1:48AM | Updated Date: Jul 7 2019 1:48AM
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नई दिल्ली। बजट में पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क और उपकर बढ़ने से महंगाई बढ़ने की आशंका के बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार ने पिछले 5 साल लगातार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा और आगे भी सरकार इस पर अंकुश बनाए रखेगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए सीतारमण ने पेट्रोल, डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और सड़क एवं अवसंरचना उपकर के रूप में प्रति लीटर दो- दो रुपए की वृद्धि की है। माना जा रहा है कि पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई पर दबाव बढ़ेगा। लोकसभा में वर्ष 2019- 20 का बजट पेश करने के बाद शनिवार को संवाददाताओं के साथ बातचीत में वित्त मंत्री ने महंगाई के सवाल पर कहा, 'सरकार ने पिछले पांच साल महंगाई को लगातार नियंत्रण में रखा है। इस दौरान थोक महंगाई लगातार नीचे बनी रही और एक बार भी चार प्रतिशत से ऊपर नहीं गई।'

सरकार ने कदम उठाए और दाम नीचे आए
सीतारमण ने कहा कि जब भी महंगाई की स्थिति बिगड़ी, सरकार ने तुरंत कदम उठाए और इसे नियंत्रण में लाया गया है। सीतारमण ने महंगाई के सवाल पर कहा, 'महंगाई नियंत्रण में रहेगी। सरकार की इस पर बराबर नजर रही है, जब भी हालात बिगड़े हैं सरकार ने तुरंत कदम उठाए हैं। पिछले पांच साल के दौरान 2014 में जब नई सरकार बनी तब अरहर दाल के दाम 200 रुपए पर पहुंचे थे, उड़द, मूंग के दाम भी आसमान छू रहे थे। सरकार ने कदम उठाये और दाम नीचे आए।'
मुद्रास्फीति का लगातार नीचे रहना ठीक नहीं
उल्लेखनीय है कि जिंसों के दाम में स्थिरता लाने के इरादे से सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया। इसका मकसद जरूरी जिंसों के दाम में तेजी पर काबू रखना था। वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्रियों का हवाला देते हुए कहा कि अर्थशास्त्री तो यह भी मानते हैं कि मुद्रास्फीति का लगातार नीचे रहना ठीक नहीं, इसका आर्थिक वृद्धि पर भी असर पड़ता है।
मुद्रास्फीति को संतुलित बनाए रखने पर जोर
सीतारमण ने कहा, 'मुद्रास्फीति का एकदम नीचे या बहुत ऊपर होना ठीक नहीं है। इसे उचित स्तर पर रखा जाना चाहिए। देश में आर्थिक वृद्धि और रोजगार बढ़ाने के वास्ते इसमें संतुलन रखने की जरूरत है। मोदी सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी, फरवरी 2016 के आसपास शून्य से भी नीचे गिर गई थी। मई 2016 के आसपास थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा जहां 6 प्रतिशत से ऊपर अथवा इसके आसपास था वहीं मोदी सरकार के आने के बाद यह चार प्रतिशत के आसपास अथवा उससे नीचे ही रहा।'
ब्लैकमनी रखने वालों को एक और मौका
जहां सरकार मुद्रास्फीति को संतुलित बनाए रखना चाहती है, वहीं ब्लैकमनी को भी खंगालने पर सरकार का ध्यान है। सूत्रों के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार फिर से ब्लैकमनी रखने वालों को एक और मौका दे सकती है। दरअसल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पेश किया। इसमें उन्होंने इनकम डिक्लेरेशन स्कीम 2016 को दोबारा खोले जाने का प्रस्ताव दिया है। यह स्कीम उन लोगों के लिए खोली जाएगी, जिन्होंने इस स्कीम के तहत अपनी बेहिसाब संपति का खुलासा तो किया था, लेकिन तय तारीख तक टैक्स, सरचार्ज और पेनाल्टी का भुगतान नहीं किया था। ब्लैकमनी पर मोदी सरकार का ऐलान-बजट में ऐसे लोगों द्वारा चुकाई जाने वाली ज्यादा रकम के रिफंड की इजाजत का भी प्रस्ताव है। इस बारे में होने वाले संशोधन 1 जून, 2016 से लागू माने जाएंगे। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सरकार इनकम डिक्लेरेशन स्कीम 2016 में अपनी बेहिसाब संपत्ति का खुलासा करने वाले लोगों को दूसरा मौका दे रही है।
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