वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं कला को आधुनिक तकनीक के सहारे वास्तविक होने अहसास कराने का प्रयास कराने वाले देश के प्रथम अनूठे आभासी संग्रहालय (वर्चुअल म्यूजियम) का शनिवार को यहां गंगा तट पर स्थित मानमहल में अवलोकन किया। दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद अपने संसदीय क्षेत्र के पहले एक दिवसीय दौरे में उन्होंने लाल बाहदुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्वर्गीय शास्त्री की 18 फीट लंबी ताम्र प्रतिमा का अनावरण, पवित्र पंचकोशी मार्ग पर हरहुआ क्षेत्र के राम सिंह पुर गांव में पौधारोपण और पंडित दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सदस्यता अभियान का शुभारंभ कने के बाद मानमहल का अवलोकन किया।
मोदी ने गंगा किनारे दशाश्वमेध घाट के पास स्थित मानमहल में 11 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अपने तरह के पहले ‘आभासी संग्रहालय’ (वर्चुअल म्यूजियम) का उद्धाटन गत फरवरी में अन्य परियोजनाओं के साथ किया था। इस सग्रहालय में वाराणसी की संस्कृति, कला एवं धार्मिक विरासत आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित की गई है। मानमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित स्थानों में से एक है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नेशल काउंसिल ऑफ सांइस म्यूजियम (एनसीएसएम) की देखरेख में तैयार इस संग्रहालय में शिव पूजा, बनारस की गलियां, साहित्य और पत्रकारिकता, बनारसी संगीत और नृत्य, गंगावतरण, आयुर्वेद, मुक्ति धाम, संगीतमय दीवार, रामनगर की करीब ढाई सौ साल पुरानी रामलीला की जीवंत तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है।
इसी प्रकार से आने वाले समय में देश के अन्य प्रमुख शहरों में वहां की धार्मिक, सांस्कृतिक, शिक्षा एवं कला की तस्वीर पेश करने की योजना है। सूत्रों ने बताया कि संग्रहालय में प्रोजेक्टर, एलईडी, वीडियो क्लिप समेत श्रव्य दृश्य माध्यमों के जरिए काशी के पवित्र घाट, शास्त्रीय संगीत, बनारसी साड़ी की बुनाई, रामनगर की रामलीला, प्रमुख स्मारक, पान की दुकानों के बारे में रोचक अंदाज में ‘थ्रीडी’ प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय मे एक मंदिर है। जहां लगी घंटी को छूते ही घंटे की आवाज एवं शिवलिंग पर पुष्प वर्षा स्क्रीन पर दिखायी देने लगती है। अगले पल में ही बनारसी पान और काशी की गलियों का खड़े होने का आभास होता है।
थ्रीडी वीडियो में गंगा के उद्गम, काशी में प्रवाह और मंदिरों के इतिहास की जानकारी दी जाती है। बदलते मौसम से लेकर विश्व प्रसिद्ध नागनथैया लीला, भरत मिलाप, बनारसी साड़ी से लेकर काशी की मीनाकारी और काशी की पत्रकारिता के साथ ही काशी का साहित्य और यहां रविन्द्र नाथ टैगोर तक के बारे में हिंदी और अंग्रेजी भाषा में की जानकारी दी गई है। प्रोजेक्टर के माध्यम से काशी की प्राचीनतम बस्ती, भगवान बुद्ध का प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ का अशोक स्तंभ एवं स्तूप स्थापना, गोस्वामी तुलसी दास, रामनगर किला, भारत कला भवन आदि दर्शाये गए हैं। 3डी तकनीक से गंगा घाट, मंदिर, मस्जिद, समेत शहर के प्रमुख ऐतिसिक एवं धार्मिक स्थानों पर मौजूद होने का आभासा कराने की व्यवस्था की गई है।
गंगा अवतरण गैलरी में गंगा के धरती पर अवतरण की कहानी दर्शायी गई है। यहां पहुंचने के बाद ऐसा लगता है जैसे काशी की गलियों में धूम रहे हों। संग्रहालय में बनारस की गली का सजीव अहसास होगा। ऐसा लगेगा की आप खुद उसमें घूम रहे हैं। आडियो से गलियों में होने वाले शोर, मंदिर की घंटी, वाहनों की आवाज आदि सुनाई देगा। गली में ही पान की दुकान भी लगी है। इसके अलावा मेड इन बनारस, वाराणसी वस्त्राणसी, नाद नगरी, काशी शिल्प, काशी के बसैया, काशी नामा, गंगाजली, मुक्तिधाम, रस-रस बनारस, हथकरथा, पर्व त्योहार आदि भी आप से बंधे रखेगा। संग्रहालय में पहुंचते ही खड़े-खड़े वाराणसी की गलियों में धूम आभासा होता है। आडियो से गलियों में होने वाले शोर, मंदिर की घंटी, वाहनों की आवाज आदि सुनाई देती। मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के सूचना राज्य मंत्री डॉ नीलकण्ठ तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।