नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन, हरियाली कम होने, पर्यावरणीय अवकर्षण जैसी गंभीर समस्याओं के निदान में इस प्रौद्योगिकी से लाभ मिल सकता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल मानवता के व्यापक कल्याण के लिए किये जाने का आव्हान करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति का मूलभूत लक्ष्य सामाजिक लाभ और आम आदमी के जीवन की परिस्थितियों में सुधार लाना है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में जनता की समस्याओं का समाधान निहित है। उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को यहाँ अमेरिका के फ्लोरिडा में इसी माह के आखिर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सेटलमेंट डिजाइन प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे दिल्ली पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों के समूह से बातचीत करते हुए कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ध्यान देने की आवश्यकता वाला एक अन्य बड़ा क्षेत्र है। अन्तरिक्ष एक साझा संसाधन है और उसके द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले फायदों तक सभी देशों की समान पहुँच होनी चाहिए।
उन्होंने विद्यार्थियों को नयी खोजों और नवाचारों के साथ सामने आने की सलाह दी और कहा कि अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र में काम करते हुये यह देखना अनिवार्य है कि इस संबंध में हो रहे नये-नये अन्वेषणों और प्रयोगों का लाभ सभी देशों को उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी में जलवायु परिवर्तन, हरियाली कम होने, पर्यावरणीय अवकर्षण जैसी गंभीर समस्याओं के निदान में लाभ मिल सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाया है। भारत 1975 में अपने प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण के समय से ही अंतरिक्ष और उससे संबंधित प्रौद्योगिकी के संबंध में सबसे आगे है।