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ज्योतिर्विद उमर खय्याम के जन्‍मदिन पर गूगल ने बनाया ये डूडल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 18 2019 11:44AM | Updated Date: May 18 2019 11:45AM
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नयी दिल्ली। फारसी गणितज्ञ, साहित्यकार, कवि, चिंतक और ज्योतिर्विद उमर खय्याम के 971वें जन्मदिन पर सोशल नेटवर्किंग साइट गूगल ने शनिवार को अपना डूडल समर्पित कर उन्हें याद किया है। उत्तर-पूर्वी फारस के निशापुर में जन्मे उमर खय्याम ने इस्लामिक ज्योतिष को नई पहचान दी और समय देखने का तरीका बदलते हुए इन्होंने तारीख मलिकशाही, जलाली संवत या सेल्जुक संवत की शुरुआत की।
 
उन्होंने नए कैलेंडर का भी अविष्कार किया। खय्याम की कविताएं या रुबाईयां (चार लाइनों में लिखी जाने वाली खास कविता) को 1859 के बाद ही प्रसिद्धि मिली, जब अंग्रेजी कवि एडवर्ड फिज्जेराल्ड ने इनका अनुवाद किया। साहित्य के अलावा गणित में विशेष रुचि रखने वाले खय्याम ने ज्यामितीय बीजगणित की शुरुआत की और अल्जेब्रा से जुड़े इक्वेशंस के ज्यामिति से जुड़े हल प्रस्तुत किए। खय्याम के सिद्धांतों में हाइपरबोला और वृत्त जैसी ज्यामितीय रचनाओं की मदद से क्यूबिक इक्वेंशंस का हल भी शामिल है।
 
अंतरिक्ष और ज्योतिष से जुड़ाव के चलते उमर खय्याम ने एक सौर वर्ष (लाइट ईयर) की दूरी दशमलव के छह बिन्दुओं तक पता लगाई। खय्याम ने इस आधार पर एक नए कैलेंडर का आविष्कार किया, जिसे ईरानी शासन ने उस वक्त जलाली कैलेंडर के तौर पर लागू किया। मौजूदा ईरानी कैलेंडर का आधार भी खय्याम का जलाली कैलेंडर ही है। खय्याम ने खुरासन में मलिक शाह के सलाहकार और ज्योतिषी के तौर पर भी काम किया। खय्याम ने पास्कल के ट्राइएंगल और बियोनमियस कोइफीसिएंट के ट्राइएंगल अरे का भी पहली बार प्रयोग किया।
 
अल्जेब्रा में मौजूदा द्विघात समीकरण भी खय्याम ने ही दिया है। उनकी कविताएं जहां, ‘उमर खय्याम के रुबैये’ नाम से लोकप्रिय हुईं, वहीं अल्जेब्रा और संगीत पर उन्होंने कई लेख लिखी। अपनी पुस्तक ‘प्रॉब्लम्स ऑफ अर्थमैटिक’ में उन्होंने कई नए सिद्धांत भी दिए। डूडल में इन सभी क्षेत्रों से उनके जुड़ाव को सांकेतिक रूप से दर्शाया गया है।
 
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