नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के अंतिम फेज की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को बीजेपी मुख्यालय प्रेस कान्फ्रेंस की। पीएम मोदी ने दावा किया कि चुनाव शानदार रहे हैं और एक बार फिर से पूर्ण बहुमत वाली सरकार आएगी। पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल मुझे देश ने जो आशीर्वाद दिया उसके लिए में धन्यवाद देने आया हूं। अनेक उतार चढ़ाव आए, लेकिन देश साथ रहा। मेरे लिए चुनाव अभियान जनता को धन्यवाद ज्ञापन था। मोदी ने कहा कि नई सरकार बनना जनता ने तय कर लिया है। हमने संकल्प पत्र में देश को आगे ले जाने के लिए कई बातें कही हैं।
जितना जल्दी होगा, उतना जल्दी नई सरकार अपना कार्यभार लेगी। एक के बाद एक करके निर्णय हम लेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार की एक विशेषता है, वो है आखिरी लाभार्थी तक लाभ पहुंचाना। बड़े परिश्रम के बाद ये होता है। पीएम मोदी ने कहा, '16 मई को पिछली बार रिजल्ट आया था और 17 मई को एक दुर्घटना हुई थी, 17 मई को सट्टाखोरों को मोदी की हाजिरी का बड़ा नुकसान हुआ था। सट्टा लगाने वाले तब सब डूब गये थे, यानी ईमानदारी की शुरुआत 17 मई को हो गई थी।' पीएम मोदी ने कहा, 'नई सरकार बनना जनता ने तय कर लिया है। हमने संकल्प पत्र में देश को आगे ले जाने के लिए कई बातें कही हैं।जितना जल्दी होगा, उतना जल्दी नई सरकार अपना कार्यभार लेगी। एक के बाद एक करके निर्णय हम लेंगे।'
पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को मौन मोहन कहने वाले मोदी जी खुद साधे रहे चुप्पी
उम्मीद थी की मोदी कुछ सवालों के जवाब जरूर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रेस वार्ता के दौरान ही मोदी करीब 8-10 मिनट बोले। सवाल जवाब के दौर में वे चुप ही रहे। राफेल, प्रज्ञा ठाकुर बयान जैसे सवाल उनसे पूछे गए थे लेकिन जवाब अमित शाह की तरफ से आया। ऐसा ही एक सवाल था राफेल से जुड़ा हुआ। जवाब शाह ने ही दिया। हालांकि अपने कार्यकाल के आखिरी क्षणों में प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होंने यह मौका अपने समर्थकों को नहीं दिया कि वे यह दावा कर सकते हैं कि नरेंद्र मोदी इतिहास में एक भी प्रेस कांफ्रेंस न करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। फिलहाल शुक्रवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री ने सिर्फ अपने मन की बात की। प्रधानमंत्री मोदी से पूछे गए सवाल को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पर डालते हुए कहा कि वह अनुशासित कार्यकर्ता हैं।
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बोलने के लिए ही जाने जाते हैं। वे खूब बोलते हैं। इस चुनाव में भी उन्होंने कितनी रैलियों को संबोधित किया है इसकी भी जानकारी अमित शाह ने ही दी। प्रधानमंत्री ने सिर्फ गर्व से इतना बताया कि उनकी एक भी रैली कैंसिल नहीं हुई है। फिलहाल सच्चाई यही है कि चुनावी रैलियों, रेडियो, यूट्यूब, ऐप और कार्यकर्ताओं के बीच खूब और लंबा बोलने वाले प्रधानमंत्री मीडिया के सामने आते ही चुप्पी ओढ़ लेते हैं। वह सिर्फ अपने कुछ पसंदीदा एंकरों को साक्षात्कार देते हुए नजर आते हैं।