पणजी। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि अगले 10-15 वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदलने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रयासों को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। उप राष्ट्रपति ने शहर के समीप दोना पौला में सीएसआईआर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशिनोग्राफी में वैज्ञानिकों और छात्रों को संबोधित करते हुये कहा कि सागर से खनिज और ऊर्जा निकालने जैसे क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने से भारत वैश्विक नेता बन सकता है और अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि ‘नीली अर्थव्यवस्था ’ का उद्देश्य स्मार्ट, स्थायी और समावेशी विकास को बढ़ावा देना और हिन्द महासागर क्षेत्र के अंदर समुद्री आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से रोजगार के अवसरों का निर्माण करना है।
भारत को ‘नीली अर्थव्यवस्था’ की विशाल क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के सभी हितधारकों को सागर और उसके पारितंत्र के और अधिक क्षरण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। नायडू ने कहा कि प्रौद्योगिकी तभी सार्थक हो सकती है जब इसे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के काम के लाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत अपनी तेल और गैस संबंधी अधिकांश आवश्यकताएं आयात के माध्यम से पूरा करता है। इस संबंध में वैज्ञानिकों को समुद्र क्षेत्र की हवा, लहरों और ज्वार स्रोतों से प्राप्त होने वाले अक्षय ऊर्जा की क्षमता का अध्ययन करना चाहिए। उप राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि भारत ‘नीली अर्थव्यवस्था’ के माध्यम से आर्थिक विकास के लिए महासागरों की ओर देख रहा है इसलिए इस संबंध में एनआईओ जैसे संस्थानों को समुद्री ऊर्जा के क्षेत्र में अपने शोध को आगे बढ़ाना होगा।