नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि बड़े औद्योगिक घरानों के साथ-साथ छोटे कारोबार से संबंधित एजेंसियों के बारे नकारात्मक धारणा बन रही है और सरकार तथा उद्योगों के बीच आपसी विश्वास घट रहा है। डॉ सिंह ने यहां एक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि देश में पिछले कुछ समय से उद्योगपतियों, औद्योगिक समुदाय तथा छोटे और बड़े कारोबार से संबंधित एजेंसियों के बारे में नकारात्मक धारणा बन रही है। एक नकारात्मक माहौल बन गया है जिसमें न केवल घरेलू उद्योगों का भरोसा कम होता है बल्कि विदेशी सरकारों तथा उद्योगपतियों के दिमाग में भी संदेह पैदा होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार को कभी राजस्व अधिकारियों को ईमानदार उद्योगपति और वास्तविक कारोबारी को परेशान करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए लेकिन देश में दुर्भाग्य से देश में सरकार और उद्योग के बीच भरोसा घट रहा है। उन्होंने परिवर्तन को जरूरी करार देते हुए कहा कि राजनेताओं को किसी भी बदलाव के लिए आम जनता को भरोसे में लेना चाहिए। लोग कभी भी ऐसे बदलाव को स्वीकार नहीं करते जो उनकी स्थिति में नकारात्मक प्रभाव डालता हो। डॉ सिंह ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 1991 में शुरू किये गये बदलावों को बाद की सरकारों ने भी जारी रखा है लेकिन यह नेताओं में जनता के भरोसे के बिना संभव नहीं था।
लोगों के संबंध में कोई बदलाव आम सहमति से ही संभव है। इसके लिए सरकारों को लोकतांत्रिक रास्ता अपनाना होगा। ताकत के बल पर कोई भी परिवर्तन संभव नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि राजनेताओं को लोगों की भाव और अपेक्षाओं को भांपना चाहिए और इसके लिए वंचित तबके के लोगों का ध्यान रखा जाना चाहिए। कोई भी बदलाव समाज तभी स्वीकार करता है जब यह निष्पक्ष एवं समानता पर आधारित हो।