नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच इस हफ्ते 3 अरब डॉलर वाली न्यूक्लियर सबमरीन डील पर समझौता होने की संभावना है। पिछले साल एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रूस से 5.5 अरब के कॉन्ट्रैक्ट के बाद यह रूस के साथ सबसे बड़ी डील बताई जा रही है। भारत-पाकिस्तान के बीच अभी जो हालात है उसे देखते हुए, इस डील पर आखिरी मुहर लगना कूटनीति के लिहाज से भी बहुत मायने रखता है।
बताया जाता है कि इस सबमरीन को भारत की जरूरतों के मुताबिक बदला जाएगा। अकुला क्लास की यह सबमरीन भारत में आईएनएस चक्र III के नाम से जानी जाएगी। इससे पहले इसी तरह की दो सबमरीन भारत को रूस से मिली थीं। आपको बता दें कि दुश्मन की नजरों से छिपने और प्रहार करने की क्षमता के मामले में अकुला क्लास सबमरीन से आगे केवल अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियां ही हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक यह परमाणु पनडुब्बी रूस के शिपयार्ड में 2025 तक बनकर तैयार होगी और भारत को 10 साल की लीज पर मिलेगी। आईएनएस चक्र III के सौदे के लिए रूस के साथ बातचीत 2013 से ही चल रही थी। लेकिन, 2015 में दोनों देशों की ओर से इसकी कीमत और तकनीकी पहलुओं पर बातचीत के बाद इसमें गति आई। यह रूस से भारत को मिलने वाली तीसरी परमाणु पनडुब्बी है।