नई दिल्ली। जेनेरिक दवाइयों को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। कदम ये है कि सरकार इनके रंग में बदलाव कर सकती है। सूत्रों के अनुसार बदलाव को मंजूरी के बाद दवा कंपनियों को लेबल पर दवा का जेनेरिक नाम बड़े अक्षरों में लिखना होगा, जबकि ब्रांड नाम छोटे अक्षरों में लिखना होगा। बताया जा रहा है कि सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और ड्राफ्ट जारी होते ही दवाइयों में बड़ा बदलाव कर दिया जाएगा।
फिलहाल एक ही तरह की दवाइयां अलग-अलग ब्रांड के नाम से बेची जाती हैं। मसलन बाजार में पैरासिटामॉल को सेरिडॉन, क्रोसिन, कैलपाल या अन्य कई ब्रांड नाम से बेचा जाता है। ब्रांड नाम से बिकने वाली दवाएं जेनेरिक दवाओं के मुकाबले कई गुना महंगी हो जाती है।
आपको बता दें कि भारत में सही गुणवत्ता वाली सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में सस्ता होने के बावजूद भारतीय बाजार में जेनेरिक मेडिसन की खपत कुल दवा बाजार की तुलना में अभी भी महज 10 से 12 फीसदी ही है। मुनाफा, कमीशन और उपहार के लालच में दवा कंपनियां, मेडिकल कारोबारी और डॉक्टर कोई भी नहीं चाहता कि जेनेरिक मेडिसन की मांग बढ़े। ऐसे में नियमों को सख्ती से लागू करना जरूरी है। आपको बता दें कि बाजार में लगभग हर तरह की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हैं, जिनके दाम ब्रांडेड दवाओं से बहुत कम हैं।