नई दिल्ली। हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका एवं ‘हंस’ पत्रिका की संपादन सहयोगी अर्चना वर्मा का शनिवार को यहां निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वर्मा की तबियत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें पटेल चेस्ट चिकित्सा संस्थान में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पति के. जी. वर्मा के अलावा दो बेटे हैं। वह 72 वर्ष की थीं। छह अप्रैल 1946 में जन्मी श्रीमती वर्मा दिल्ली विश्विद्यालय के मिरांडा कालेज में हिंदी विभाग में शिक्षिका थीं और प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी की सहयोगी थीं।
उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. करने वाली अर्चना वर्मा कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी की सहपाठी थीं। वह 1986 से मशहूर लेखक राजेन्द्र यादव के साथ मिलकर ‘हंस’ का सम्पादन करती रही। ‘कुछ दूर तक, लौटा है विजेता’ उनके कविता संग्रह हैं। ‘स्थगित, ‘राजपाट’ तथा ‘अन्य कहानियां’ उनके कहानी संग्रह हैं। उन्होंने निराला पर आलोचना की एक किताब भी लिखी थी।
अस्मिता विमर्श का स्त्री स्वर’ उनकी स्त्री विमर्श पर चर्चित पुस्तक थी। उन्होंने ‘कथादेश’ पत्रिका का भी संपादन किया। वह जाने माने पत्रकार लेखक रघुवीर सहाय के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘दिनमान’ में पुस्तक समीक्षा भी करती थीं। वह हिंदी अकादमी की सदस्य भी थीं और स्त्रियों के हक के लिए हमेशा लड़ती रहीं।