डेंगू बुखार, मच्छरों से होने वाली बीमारी है। इसमें तेज बुखार और फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर गर्भवती महिला डेंगू बुखार से बीमार है, तो वह अपने बच्चे को वायरस दे सकती है, जिससे प्रेग्नेंसी में खतरा हो सकता है। जैसे कि कम वजन का जन्म, समय से पहले जन्म और यहां तक कि मृत्यु भी।
गर्भावस्था में डेंगू का मां और शिशु दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मृत्यु दर 15।9% है। एडीज मच्छर द्वारा फैलने वाला डेंगू बुखार कई चुनौतियां पैदा करता है। यह वायरस संक्रमण मां की सेहत को प्रभावित करता है और बढ़ते हुए भ्रूण को खतरे में डाल सकता है। मां और अजन्मे बच्चे पर डेंगू के दोहरे प्रभावों को समझने के लिए आइये इसके लक्षणों पर नजर डालते हैं।
लक्षण :
संक्रमित मच्छर के काटने से कई लक्षण हो सकते हैं, जो आमतौर पर 4-10 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। निम्नलिखित लक्षण, जो मामूली से लेकर गंभीर हो सकते हैं, मौजूद हो सकते हैं:
शरीर का तापमान तेजी से बढ जाता है :
डेंगू में अचानक फीवर 104°F (40°C) के पार हो जाता है । सिर में दर्द रहता है और आंखों के पीछे भी दर्द रहता हैं। मांसपेशियों और जइंट्स में डिस्कंफर्ट रहता है।कमजोरी रहती ह और ये कमजोरी कई सप्ताह तक रहती है।
उल्टी :
उल्टी का अनुभव होना, खासतौर से बीमारी के प्रारंभिक चरण में, डेंगू के सबसे आम लक्षणों में से एक है।
त्वचा पर रैश :
बुखार शुरू होने के दो से पांच दिन बाद एक शरीर पर दाने विकसित हो जाते हैं।
मसूड़ों से खून
कुछ लोगों को मसूड़ों से खून आने लगता है और नाक से खून आने लगता है।
पेट में दर्द :
पेट में हल्का-हल्का दर्द होने लगता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम के कारण ऑर्गन भी डैमेज हो जाता है।
बच्चे को नुकसान :
डेंगू का असर भ्रूण पर होता है। गर्भावस्था के दौरान अगर मां को डेंगू हो जाए तो वह भ्रूण में फैल सकता है। बच्चे का वजन नहीं बढता, समय से पहले जन्म हो सकता है और यहां तक कि बच्चे की मौत भी हो सकती है। अगर प्रेग्नेंसी के दूसरे या तीसरे तिमाही के दौरान डेंगू हुआ है तो इसका असर बहुत ज्यादा होता है। डेंगू के संक्रमण के कारण बच्चे का ब्रेन डेवेलप नहीं होता। उसके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।