आज टेक्नोलॉजी में लगातार नए-नए बदलाव आ रहे हैं, जिनके कारण मोबाइल, गैजेट्स या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बन रहे हैं। टेक्नोलॉजी ने जितने उपकरण बनाए उनमें इलेक्ट्रिक की खपत ज्यादा होती है और यह आसानी से प्रोवाइड भी नहीं होती है।
आधुनिकीरण से लगातार नए-नए बदलाव देखने को मिले, जहां पहले कंडे, सिगड़ी पर भोजन पकाया जाता था फिर रसोई गैस का चलन आया, लेकिन अब इलेक्ट्रिक गैस को ट्रेंड में शामिल किया गया। इलेक्ट्रिक गैस बड़ी ही आसानी से खाना पकाने में मदद करता है, किंतु अब तक हम इसके कुछ पहलुओं से अंजान रहे हैं, जहां कोई इलेक्ट्रिक गैस को उचित मानता है, तो कोई इसे अनुचित।
स्वाद और शक्ल बदल देते हैं
डॉ. पूर्वी वोरा ने बताया आज इलेक्ट्रिक गैस में माइक्रोवेव का चलन बहुत अधिक हो गया है, माइक्रोवेव से भोजन बनाना जितना आसान हो गया है उतना ही यह शरीर को नुकसान देने की वजह बन गया है। पहले दादी, परदादी सिगड़ी या मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाती थीं, तो खाने के न्यूट्रीशियंस को नुकसान नहीं पहुंचता था। इलेक्ट्रिक गैस ने लोगों के समय की बचत की है, जिससे वे कम समय में खाना बना लेते हैं, लेकिन इसमें माइक्रोवेव की किरणें मनुष्य के शरीर को प्रभावित कर रही हैं, जो बाद में एक गंभीर समस्या को आमंत्रण दे सकती हैं।
इससे भोजन में विटामिन सी, आयोडीन, कैल्शियम नष्ट हो जाता है। यह किरणें भोजन का स्वाद और शक्ल ही बदल देती हैं। एक सर्वे में पाया गया कि अधिकांश शरीर में होने वाली पोषक तत्वों की कमी इसी वजह से होती है। उन्होंने बताया रसोई गैस पर बनने वाला भोजन न्यूट्रीशियंस को बरकरार रखता है, लेकिन भोजन को बार-बार गरम करना भी नुकसानदायक है।
जितना हो सके कम करें गर्म
डॉ. विनीता जायसवाल ने बताया भोजन को बार-बार गरम करने से न्यूट्रीशियंस को नुकसान पहुंचता है, इसलिए जितना हो सके उतना कम रिहीटेड करें। इलेक्ट्रिक गैस और रसोई गैस में अधिक अंतर नहीं हैं, क्योंकि यह हीट पर भोजन बनाते हैं। इंडक्शन, इलेक्ट्रिक कुकर से आपके न्यूट्रीशियंस को कोई खतरा नहीं है, लेकिन यदि माइक्रोवेव की बात की जाए तो इससे आपको खतरा है, इससे निकलने वाली वेविंग से न्यूट्रीशियंस नष्ट हो जाते हैं। इलेक्ट्रिक गैस में इंडक्शन, कुकर और ओवन हीट प्रोवाइड करते हैं, परंतु माइक्रोवेव जिस तरह काम करता है वह हार्मफुल होता है। इनमें भले ही आपको डिफरेंस न लगे, लेकिन ये न्यूट्रीशियंस खत्म कर देते हैं।
क्वालिटी को रखते बरकरार
गैस स्टोव खाना पकाने के लिए बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं। एक बार खाना पकाने के लिए बर्तन रख देने के बाद बर्तन की स्थिति और आकार के बारे में बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती, हालांकि, यह दक्षता को प्रभावित कर सकता है। खाना पकाने के लिए आपको बिजली कटौती पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। ये ज्यादातर भारतीय खाना पकाने के लिए अच्छे माने जाते हैं। विभिन्न प्रकार के बर्तन के लिए कोई विशिष्ट प्रकार की आवश्यकता नहीं होती। पोषक तत्वों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है, साथ ही उसकी क्वालिटी को भी कायम रखता है।
इलेक्ट्रिक गैस की परेशानी
सबसे पहले इसका प्रयोग करने के लिए इसकी संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है वरना कई खतरों की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही इसके लिए बिजली होना आवश्यक है। विशिष्ट बर्तनों का होना, वायरिंग का सही तरह से लगा होना भी जरूरी है। भारतीय व्यंजन बनाने के लिए उचित नहीं, खाने की क्वालिटी खराब कर देते हैं। पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचाते हैं। रसोई गैस से महंगे होते हैं।
पकाने की विधि पर निर्भर
रक्षा गोयल का मानना है कि ऐसा कुछ नहीं होता। खाने के न्यूट्रीशियंस बार-बार गर्म करने पर समाप्त होते हैं। माइक्रोवेव इसका दोषी नहीं है, यह खाना पकाने का एक आसान, सुविधाजनक और सुरक्षित तरीका है। कम खाना पकाने के समय और गर्मी के कम जोखिम पोषक तत्वों को संरक्षित करते हैं। माइक्रोवेव ओवन पर अक्सर पोषक तत्व नष्ट करने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन निरंतर उच्च ताप या प्रत्येक खाना पकाने की विधि विटामिन को नष्ट करने का उपयोग करने वाली और एमिनो एसिड, एक डिग्री के लिए है।
विकिरण भोजन और सब्जियां गर्म करना इस तरह से सभी पोषक तत्व को नष्ट नहीं करता है। हीटिंग की किसी भी विधि की तरह माइक्रोवेविंग से प्रभावित हो सकता है। माइक्रोवेविंग आपको हानिकारक विकिरण नहीं दे रही है। हेटरोसायक्लिक एरोमेटिक अमाइन (एचसीए) इनमें स्वाभाविक रूप से गठन किया गया है। खाना पकाने के दौरान मांस और मछली जैसे प्रोटीनयुक्त भोजन को यदि उच्च तापमान पर पकाया जाता है तो यह तो प्रतीत हो सकता है कि खाना पकाने की विधि एचसीए को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।