वैसे तो किसी भी नवजात के लिए मां का दूध ही सबसे अच्छा और श्रेष्ठ माना जाता है। लेकिन कई बार किन्हीं वजहों से अगर मां बच्चे को दूध नहीं पिला पाती या फिर मां का दूध इतना नहीं होता कि बच्चे का पेट भर पाए तो बच्चे को ऊपर का दूध यानी मिल्क पावडर दिया जाता है। मिल्क पावडर को लेकर हाल ही में हुई एक शोध की मानें तो बकरी के दूध से बना मिल्क पावडर नवजात के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
शोध में ये बातें आई सामने
- गोट मिल्क फॉर्म्युला यानी बकरी के दूध से तैयार मिल्क पावडर में स्ट्रॉन्ग प्रीबायॉटिक और ऐंटिइंफेक्शन प्रॉपर्टीज होती है।
- नवजात शिशु को पेट और आंत से जुड़े कई तरह के इन्फेक्शन्स से बचा सकता है
- इस रिसर्च में एक अलग और खास तरह के प्रीबायॉटिक के बारे में चर्चा की गई है
- यह प्रीबायॉटिक गुड बैक्टीरिया के ग्रोथ को बढ़ाकर बच्चे की आंत को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाता है
ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस रिसर्च में बकरी के दूध से बने मिल्क पावडर में एक दो नहीं बल्कि पूरे 14 तरह के प्राकृतिक रूप से बनने वाले प्रीबायॉटिक्स पाए। इनमें से 5 तरह का प्रीबायॉटिक मां के दूध में भी पाया जाता है। वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग के विकल्प के तौर पर गाय के दूध से बने मिल्क पावडर का इस्तेमाल ज्यादा प्रचलित है लेकिन कई मामलों में बकरी के दूध को मां के दूध के ज्यादा करीब माना जाता है।
हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है
बच्चों में होने वाले डायरिया के करीब एक तिहाई केसेज हानिकारक बैक्टीरिया पैथोजेनिक ई कोलाई की वजह से होते हैं जो नवजात की आंत में विकसित हो जाते हैं। बकरी के दूध में मौजूद प्रीबायॉटिक अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है जिससे हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है। साथ ही बकरी के दूध में मौजूद ऐंटि-इंफेक्शन तत्व को भी नवजात के सेहत के लिए बेहतर माना जाता है।