नई दिल्ली। कॉलिंग ऐप जैसे वाट्सएप, गूगल डुओ और स्काइप जल्द ही कड़े नियमों के दायरे में आ सकते हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई ने ओटीटी ऐप्स पर परामर्श पत्र जारी किया। इन सभी कंपनियों से 10 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। परामर्श प्रक्रिया पूरी करने के बाद ट्राई जनवरी 2019 से सिफारिशों को लागू करेगा।
ट्राई ने बयान में कहा कि परामर्श पत्र का उद्देश्य उन बदलावों पर विचार करना है, जो इन इकाइयों की निगरानी के लिए मौजूदा नियामकीय व्यवस्था में किए जाने की जरूरत है। साथ ही इसके जरिये यह भी तय किया जाएगा कि ये बदलाव किस तरीके से आने चाहिए। दरअसल, सरकार चाहती है कि अधिकृत लाइसेंसधारी कंपनियां ही कॉलिंग और मैसेजिंग जैसी सुविधाएं दें, सोशल मीडिया कंपनियां नहीं। अगर यह नियम बना तो यूजर्स को सोशल मीडिया ऐप के जरिये कॉल करने या मैसेज भेजने पर पैसे देने पड़ेंगे। ओटीटी सेवाओं से मतलब ऐसी एप्लिकेशन और सेवाओं से है जिसे इंटरनेट के जरिये पाया जाता है और आॅपरेटरों के नेटवर्क पर चलती हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नए परामर्श पत्र से वाट्सएप, हाइक आदि ऐप्स प्रभावित होंगे। वैसे तो यह वीडियो साइटों पर लागू नहीं होता लेकिन इसका असर फेसबुक और ट्विटर पर भी पड़ सकता है। ट्राई ने स्पष्ट किया है कि उसके मौजूदा विचार विमर्श का दायरा नियामकीय और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होगा। इसमें उन ओटीटी सेवाओं पर विचार विमर्श किया जाएगा जो दूरसंचार सेवाओं प्रदाताओं (टीएसपी) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं जैसी या उससे मिलती जुलती हैं।
बढ़ेगा दबाव
डेटा में सेंध और फर्जी खबरों को लेकर वाट्सएप और फेसबुक जैसी कंपनियां नीति निर्माताओं की जांच के घेरे में हैं। ट्राई के इस कदम से इन कंपनियों पर दबाव और बढ़ने की संभावना है। यह भी तय किया जाएगा कि ये बदलाव किस तरीके से आने चाहिए।