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चीन ने बनाया अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज एआई कैमरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 12 2019 1:01AM | Updated Date: May 12 2019 1:01AM
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बीजिंग। लेजर के इस्तेमाल से कैमरा ऑब्जेक्ट की दूरी का पता लगाता है 1550 नैनोमीटर की वेवलेंथ पर काम करती है कैमरे की इंफ्रारेड लेजर तकनीक इस तकनीक को जूते के बक्से जितने साइज में समेटा जा सकता है चीनी शोधकर्ताओं ने नई कैमरा तकनीक को विकसित किया है। यह तकनीक 45 किलोमीटर की दूरी से तस्वीरें लेने में सक्षम है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड इस कैमरे में लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है। यह बड़े आकार की वस्तुओं के तस्वीरें ले सकता है।

लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग तकनीक से है लैस

शोधकर्ता जेंग पिंग ली के द्वारा पब्लिश किए गए एक जर्नल ArXiv के अनुसार इस कैमरा तकनीक में लेजर इमेजिंग और एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है, जो वातावरण में उपस्थित स्मॉग और अन्य प्रदूषण के बावजूद सटीक फोटो लेने में सक्षम है। इसमें   लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो पहले भी कई कैमरों में और इमेजिंग तकनीक में इस्तेमाल की जा चुकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नए सॉफ्टवेयर की मदद से इसने अपने प्रतिद्वंदियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। इस तकनीक में गेटिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है। यह ऑब्जेक्ट और कैमरे की बीच आने वाली अन्य वस्तुओं द्वारा छोड़ गए फोटॉन को अनदेखा करने में मदद करता है। कैमरा ऑब्जेक्ट की दूरी का पता लगाने के लिए लेजर का इस्तेमाल करता है, जो यह भी बताता है कि लाइट ऑब्जेक्ट से टकराकर कैमरे तक आने में कितना समय लेती है। वहीं, नया सॉफ्टवेयर कैमरे को यह संदेश देता है कि रास्ते में आने वाली अन्य वस्तुओं को कैसे अनदेखा किया जाए। यह फीचर कैमरे को एक विशेष दूरी तक फोटो लेने की अनुमति देता है। एमआईटी टेक्नोलॉजी ने अपने रिव्यू में बताया कि इसका एक फायदा यह भी है कि कैमरा इंफ्रारेड लेजर को 1550 नैनोमीटर की वेवलेंथ पर उपयोग करता है। रिपोर्ट के अनुसार यह वेवलेंथ न सिर्फ कैमरे को इस्तेमाल करने में सुरक्षित बनाती है, बल्कि इससे इंसानों की आंखों को भी नुकसान नहीं होता। साथ ही यह तस्वीर को भी सोलार फोटॉन से बचाता है, जिससे कई बार तस्वीरें खराब हो जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तकनीक का इस्तेमाल निगरानी और रिमोट सेंसिग के लिए भी किया जा सकता है। इस तकनीक को किसी शू-बॉक्स जितने साइज में समेटा जा सकता है, जिसे किसी छोटे एयरक्रॉफ्ट या ऑटोनोमस व्हीकल में भी लगाया जा सकता है।
 
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