नई दिल्ली। इस फीफा वर्ल्ड कप में कई उलटफेर देखने को मिले और चैंपियन जर्मनी सहित कई दिग्गज टीमों का पुलिंदा जल्द बंध गया। एक तरफ फुटबॉल की पावरहाउस टीमें मैदान में हांफती नजर आई, तो फीफा रैंकिंग की कई कमजोर टीमों ने दिग्गजों के होश उड़ा दिए।
लेकिन इन सबके बीच यूरोपीय फुटबॉल का जलवा एक बार फिर कायम रहा, जिन्होंने अपने मजबूत फुटबॉल ढांचे, जबरदस्त लीग और कड़ी स्पर्धा के दम पर दबदबा बनाए रखा है।
वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले दक्षिण अमेरिकी टीमों के स्टार खिलाड़ी लियोनेल मेसी, सुआरेज और नेमार जूनियर की चर्चा हर तरफ थी। पर इन सभी की चमक फीकी रही। जबकि यूरोपीय टीमों में क्रोएशिया के लुका मोड्रिक, इवान राकिटिक, इंग्लैंड के हैरी केन, फ्रांस के एमबापे व ग्रिजमैन और बेल्जियम के हेजार्ड, ब्रुइन और लुकाकू ने महफिल लूट ली। इन खिलाड़ियों के सहारे यह साबित हो गया कि फुटबॉल की दुनिया का असली सरताज यूरोप' ही है। सेमीफाइनल में खेल रही फ्रांस, बेल्जियम, क्रोएशिया और इंग्लैंड यूरोप की हैं।
पिछड़ रही द. अमेरिकी टीमें
यह लगातार चौथा वर्ल्ड कप होगा जब दक्षिण अमेरिकी टीम इस ताज से दूर रहेगी। होड़ में बची आखिरी दो लैटिन अमेरिकी टीमें ब्राजील, उरुग्वे क्वार्टर फाइनल में ही विदा हो गई। बीते आठ वर्ल्ड कप में छह बार यूरोप की टीम चैंपियन बनी।
लैटिन अमेरिकी सितारे फीके रहे
दक्षिण अमेरिकी टीमों के स्टार फुटबॉलर दुनिया के नामचीन क्लबों में रिकार्ड कीमत पर खीचें चले आते हैं। पहले स्पेन के बार्सिलोना और अब पीएसजी के नेमार क्लब फुटबॉल के हीरो हैं लेकिन वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच पर अपने देश की टीम ब्राजील के लिए करिश्माई प्रदर्शन नहीं कर पाते। लियोनेल मेसी के साथ भी ऐसा ही है। अर्जेंटीना ने मेसी से बहुत उम्मीद लगाई।पर उनकी की स्किल का जादू गायब था। उरुग्वे के सुआरेज भी क्वार्टर फाइनल में खोए-खोए नजर आए। कोलंबिया के रोड्रिगेज की चमक भी गायब रही।
यूरोपीय टीमों के बारे में यह भी जानें
'यूरोप के कोटे से वर्ल्ड कप में स्थान बनाने वाली आइसलैंड, पोलैंड, सर्बिया और जर्मनी दूसरे दौर के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई। '10 यूरोपीय टीमों ने इस बार दूसरे दौर के लिए क्वालीफाई किया '14 टीमों को यूरोपीय कोटे से वर्ल्ड कप में शामिल किया जाता है।