रफी मोहम्मद शेख-
इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (देवता) का चुनाव अचानक रोचक हो गया है। फॉर्म भरने के ऐन मौके पर यह चुनाव तीन बड़े सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट आईईटी, आईआईपीएस और आईएमएस के बीच बंटकर रह गया है। शनिवार दोपहर तक यह चुनाव निर्विरोध होना तय था, लेकिन यूनिवर्सिटी के सबसे ज्यादा वोटर वाले डिपार्टमेंट आईईटी ने ऐसा खेल खेला कि अब चुनाव की स्थिति आ गई है। अगर चुनाव नहीं हुए तो भी अध्यक्ष के पद को छोड़कर आईईटी सहित अन्य दो बड़े सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के बीच ही देवता के अधिकांश पद बंट जाएंगे। अध्यक्ष पद पर दो पूर्व सेक्रेटरी खड़े हुए हैं। वैसे सुलह की कोशिशें भी केवल चुनाव नहीं होने तक की ही हैं।
शनिवार को चुनाव के फॉर्म भरने की आखिरी तारीख का समय खत्म होने के दो घंटे पहले तक यह चुनाव निर्विरोध ही माने जा रहे थे, लेकिन अचानक इसके अधिकांश पदों पर चुनाव की स्थिति बन गई है। यह स्थिति सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट का मुखिया यानी आईईटी के अधिकांश प्रोफेसर्स द्वारा फॉर्म जमा करने से बनी है। कभी देवता की सहमति के बिना यूनिवर्सिटी में कोई फैसला नहीं होता था, लेकिन अब स्थितियां उल्टी है और पिछली दो बार से इसका केवल नाम ही रह गया है।
सहमति वालों का ही दावा
चुनाव के पहले हुई बैठक में वरिष्ठ प्रोफेसर्स के बीच यह सहमति बनी थी कि हर बार की तरह चुनाव सर्वसम्मति से हो। इस बैठक में रेग्युलर के साथ ही सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स भी शामिल थे। मजेदार बात यह है कि इस बैठक में निर्विरोध नामों पर सहमति देने वाले वो प्रोफेसर्स भी शामिल थे, जिन्होंने अंतिम दिन चुनाव लड़ने का दावा पेश कर पूरा गणित बदल दिया है। अब स्थिति यह है कि किसी भी पद के लिए सीधे या निर्विरोध नहीं होगा, बल्कि चुनाव होगा ही। हालांकि अंतिम दिन सर्वसम्मति का दांव चलने की तैयारी भी की जा रही है, किंतु इसमें फायदा सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट को ही होगा।
21 डिपार्टमेंट आंशिक रूप से
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के 30 टीचिंग डिपार्टमेंट मुख्य रूप से रेग्युलर और सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के बीच बंटा हुए हैं। इसमें स्कूल आॅफ एजुकेशनस, आईएमएस, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स से लेकर फिजिकल एजुकेशन तक 11 ऐसे डिपार्टमेंट है जो रेग्युलर की श्रेणी में है यानी यहां पर अधिकांश शिक्षक रेग्युलर नियुक्ति वाले हैं, तो 21 डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जो आंशिक रूप से सेल्फ फाइनेंस की श्रेणी में आते हैं। वहीं आठ बड़े डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जो पूरी तरह सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट से आते हैं। इसमें आईईटी, आईआईपीएस, आईएमएस (आंशिक), कम्प्यूटर साइंस, फॉर्मेसी और कॉमर्स शामिल है।
बंटी हुई है लाइन
सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के लेक्चरार, रीडर व प्रोफेसर और रेग्युलर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स के बीच काफी समय से ही अलग लाइन बंटी हुई नजर आती है। इन डिपार्टमेंट का शुरू से मानना रहा है कि यह सबसे कमाऊ है और उसके साथ ही यह अन्य यूनिवर्सिटी के साथ ही रेग्युलर डिपार्टमेंट को भी चलाने में मदद करते हैं। उनकी कई समस्याएं काफी समय से हैं। इसमें प्रमोशन का महत्वपूर्ण मुद्दा भी शामिल है। यह मानते है कि रेग्युलर डिपार्टमेंट की समस्याएं हल हो जाती है, किंतु उनकी नहीं। हालांकि यह भी सच है कि इन डिपार्टमेंट का अध्यक्ष रहते हुए भी यह पिछले दो बार से हल नहीं हो पाया है। सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के कर्मचारियों द्वारा दम दिखाएं जाने के बाद अब शिक्षकों ने पहली बार दम दिखाया है।
अध्यक्ष फिर भी रेग्युलर
चुनाव का गणित देखें तो अध्यक्ष पद पर सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट का कब्जा खत्म हो जाएगा। पिछली दो बार से आईईटी के डॉ. नागेंद्र सोहनी निर्विरोध अध्यक्ष बन रहे थे, किंतु इस बार देवता के दो पूर्व सेक्रेटरी स्कूल आॅफ डाटा साइंसेस के डॉ. वीबी गुप्ता और स्कूल ऑफ एजुकेशन के डॉ. लक्ष्मण शिंदे ने अपनी दावेदारी पेश की है। डॉ. शिंदे ने अचानक से अंतिम समय में अपना फॉर्म जमा किया। उपाध्यक्ष पद पर डॉ. प्रतोष बंसल आईईटी से थे, लेकिन उनके नाम वापसी की अटकलों के बीच यहीं के धीरज नित्यावारे और आईएमएस के डॉ. पीयूष केंदुलकर ने अपने फॉर्म जमा किए। सेक्रेटरी पर डॉ. कन्हैया आहूजा के खिलाफ आईईटी के डॉ. गोविन्द माहेश्वरी ने अपना दावा पेश किया है।
कुल 14 उम्मीदवार आईईटी से
ज्वाइंट सेक्रेगरी पर आईईटी से देवेंद्र वर्मा तो कोषाध्यक्ष पर विवेक कपूर व महिला प्रतिनिधि में उमा भाट आईईटी से सामने आ गए हैं। आईएमएस की डॉ. निशा सिद्दिकी महिला प्रतिनिधि के साथ ही एक्जीक्यूटिव काउंसिल में भी मैदान में है। इसमें कुल छह उम्मीदवार आईईटी से हैं। इसी प्रकार की स्थिति एक्जीक्यूटिव काउंसिल में हुई है। इसमें भी कुल नौ पदों पर 14 उम्मीदवारों में से आठ आईईटी से हैं। चार उम्मीदवार आईएमएस व आईआईपीएस से हैं। इस प्रकार चुनाव हो या नहीं हो, देवता पर आईईटी, आईआईपीएस, आईएमएस का ही 90 प्रतिशत कब्जा रहेगा। इससे साफ है कि देवता अब उसके मुखिया (अध्यक्ष) को छोड़कर इन्हीं डिपार्टमेंट के शिक्षकों के हाथ में रहेगा। अब देखना होगा कि यह अपनी समस्याओं को कितनी दमदारी से उठा पाते हैं।
कौन-कौन से है रेग्युलर डिपार्टमेंट
- स्कूल ऑफ एजुकेशन
- ईएमएस (आंशिक)
- स्कूल ऑफ फिजिकल एजुकेशन
- स्कूल ऑफ फिजिक्स
- स्कूल ऑफ इंस्ट्रुमेशन
- स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स
- स्कूल ऑफ बॉयोटेक्नालॉजी
- स्कूल ऑफ लाइफ लाइंस
- स्कूल ऑफ बॉयो केमिस्ट्री
- स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स
- स्कूल ऑफ इनर्जी
यह है बड़े सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट
- आईईटी
- आईआईपीएस
- आईएमएस (अधिकांश)
- स्कूल ऑफ कम्प्यूटर साइंस (अधिकांश)
- स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स (अधिकांश)
- स्कूल ऑफ फॉर्मेसी
- स्कूल ऑफ फिजिक्स
- स्कूल ऑफ कॉमर्स
- स्कूल ऑफ स्टेटेटिक्स