गौरीशंकर दुबे -
इंदौर। इंदौर के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट अंपायर सुधीर असनानी 17 दिसंबर को गोवाहाटी में असम और हैदराबाद के बीच खेले जाने वाले रणजी ट्रॉफी लीग मैच में जब अंपायरिंग करेंगे, तो यह उनका सौवां मैच होगा। यह उपलब्धि पाने वाले सुधीर मप्र के पहले और देश के चौथे अंपायर होंगे। उनसे पहले सुरेश शास्त्री, अमीष साहेबा और साबिर तारापोर यह उपलब्धि पा चुके हैं। सुधीर गोवाहाटी के लिए बुधवार दोपहर उड़ान भरेंगे। ‘दबंग दुनिया’ से विशेष बातचीत में सुधीर ने बताया कि जब वे अंपायर बने, तब उन्होंने सपना देखा कि सौ प्रथम श्रेणी मैचों में अंपायरिंग करें। मजे की बात यह है कि सुधीर ने अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच जिन सहयोगी अंपायर के साथ किया था, उन्हीं के छोटे बेटे के साथ सौवां मैच करेंगे।
सुधीर के जवाबों के संपादित अंश
- मैं वकील बनना चाहता था, पर अमरदीप सिंह पठानिया ने कहा कि क्रिकेट लॉ पढ़ो, नामी अंपायर बन जाओगे।
- राजीव रिसोड़कर, संजीव दुआ और मैं क्रिकेट के नियमों पर कॉलेज के दिनों से ही चर्चा करते थे। संयोग से तीनों प्रथम श्रेणी क्रिकेट अंपायर बने।
- पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर नरेंद्र मेनन ने मेरे कॅरियर में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने क्रिकेट की हर बारीक और खास जानकारी मुझे दी। उन्होंने बताया कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मैचों में कैसे अंपायरिंग की जाती है। संजय जगदाले ने भी बड़ा सहयोग किया।
- 1991 में मैं बीसीसीआई की परीक्षा में पास होकर राष्ट्रीय अंपायर बन गया।
- चेन्नई में बांग्लादेश और केन्या के बीच त्रिकोणीय सीरीज का वनडे मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय मैच था।
- आईपीएल में अंपायररिंग करना कठिन होता है, क्योंकि दर्शक ढोल-मंजीरे बजाते हैं। ऐसे में बैट-गेंद का मिलन हो जाए, तो बहुत चौंकन्ना रहना पड़ता है। हालांकि गेंद के बैट से टकराने की आवाज सुनी जा सकती है और गेंद की दिशा से भी पता चलता है।
- साइमन टफैल, अलीम दार, मोरेस इरासमस, बिला बाउडेन, स्टीव डेविस, असद रऊफ, इयान कैटलवरो, इयान गोल्ड के साथ मैंने कई मैचों में अंपायरिंग की है। मैं समझता हूं कि सभी अंपायर अच्छे होते हैं।
- एक दिन में अंपायर मैदान में छह किलोमीटर के लगभग चल लेता है, फिर भी मनोयोग, योग, फिजिकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है।
- मेरी पत्नी रंजना ने मेरी क्रिकेट यात्रा के लिए बहुत समर्पण और त्याग किया है। बच्चे नियति और आदित्य कब बड़े हो गए, मुझे पता ही नहीं चला।
- मैं क्रिकेटर, क्रिकेट राइटर और स्कोरर भी रह चुका हूं और अपनी संपूर्ण यात्रा एवं उपलब्धियों के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार हूं।
- वसीम अकरम के खिलाफ अंपायरिंग से बचना चाहता था, क्योंकि वे कहीं से पलटकर समान गति से गेंद फेंक देते थे। उनकी गेंदों पर एलबीडल्ब्यू के अवसर बहुत होते थे। वे नोबॉल के क्लोज होते थे, यह भी परेशानी की वजह थी।
- सुनील लाहौरे, नरेंद्र हिरवानी, राजेश चौहान और अमय खुरासिया के दौर की मप्र रणजी टीम को मैं अपनी पसंदीदा टीम मानता हूं।
- मैं अगले साल अंपायरिंग से रिटायर हो रहा हूं। वैसे अपने सौ मैच पहले ही पूरे कर लेता, लेकिन पत्नी के ऑपरेशन, विशाखापट्टनम में सुनामी और इंदौर में एक मैच अधूरा रहने के कारण मैं नहीं जा सका था।
- राजस्थान के बलवंत शर्मा के साथ मैंने अपना पहला रणजी मैच किया था। उनके बेटे तपन के साथ सौवां मैच करने जा रहा हूं।
- मैंने पूरे क्रिकेट जीवन में महेंद्रसिंह धोनी जैसा कप्तान और दयालु व्यक्ति नहीं देखा। वे व्यक्ति का कद नहीं देखते।
- सचिन तेंदुलकर से मैं कई बार मिला हूं। एक बार साउथ अफ्रीका में नाश्ते की सभी टेबलें भरी थी और मैं हॉल में प्रविष्ठ हुआ, तो उन्होंने अपने परिवार के साथ मुझे नाश्ता कराया।
- बीसीसीआई की रिव्यू कमेटी में रहकर अंपायर एजुकेटर हूं। अंपायरिंग से रिटायरमेंट के बाद मप्र क्रिकेट एसोसिएशन को किसी भी रूप में सेवा देने के लिए तैयार हूं।