- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। कॉलेज व यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जरूरी अर्हता स्टेट एजिलिबिलिटी टेस्ट (सेट) की महत्वपूर्ण और कड़ी परीक्षा में उतीर्ण होने के बाद 89 अभ्यर्थियों को अब फेल घोषित कर दिया गया है। वास्तव में इसमें से अधिकांश विद्यार्थी ऐसे हैं, जो फॉर्म भरते समय गलत जानकारी देकर परीक्षा में शामिल हो गए और पास भी हो गए, लेकिन जब डॉक्यूमेंट मंगवाए गए तो इनकी चोरी पकड़ी गई। आयोग ने मूल और एलाइड विषय के अतिरिक्त अन्य को परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति ही नहीं दी थी। कई विद्यार्थी ऐसे भी रहे जो राज्य के बाहर के थे या फिर अपने डॉक्यूमेंट का वैरिफिकेशन ही नहीं करवा पाए। इन्हें भी अब सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा। आयोग ने पहले डॉक्युमेंट के वैरिफिकेशन के बिना परीक्षा आयोजित करा ली, जिससे यह समस्या आई।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने दिसंबर 2016 में सेट परीक्षा के विज्ञापन के बाद फरवरी में परीक्षा ली और 1 जून 2017 को रिजल्ट घोषित किया। 17 विषयों में हुई इस परीक्षा के बाद 2092 अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर अर्ह घोषित किया गया था। अंतिम सर्टिफिकेट जारी करने से पहले आयोग ने डॉक्यूमेंट का वैरिफिकेशन कराना अनिवार्य किया था। इसके लिए पहले 24 जून दी गई, लेकिन इसे तीन बार आगे बढ़ाया गया।
69 अभ्यर्थी ऐसे निकले
इस प्रक्रिया के बाद 69 अभ्यर्थी ऐसे निकले, जिन्होंने परीक्षा फॉर्म में गलत जानकारी दी थी। सेट की परीक्षा के लिए जरूरी था कि अभ्यर्थी जिस विषय में यह परीक्षा दे रहा था उसे उसी विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होना जरूरी था। केवल कुछ विषयों में ही एलाइड विषय में डिग्री होने पर परीक्षा देने की अनुमति थी। सेट की परीक्षा के आॅनलाइन फॉर्म में ही यह व्यवस्था की गई थी कि उन्हें पीजी का विषय सिलेक्ट करना होता था, उसके बाद ही फॉर्म जमा होता था। इन अभ्यर्थियों ने अपने फॉर्म में संबंधित विषय में पीजी नहीं होने के बाद भी उसे सिलेक्ट कर जमा कर दिया था।
सबसे ज्यादा कॉमर्स में
इसमें सबसे ज्यादा समस्या कॉमर्स विषय में हुई। इसमें अधिकांश विद्यार्थियों ने फॉर्म में एमकॉम होने की बात कही, किंतु यह वास्तव में एमकॉम थे ही नहीं। अधिकांश एमबीए निकले, जो कॉमर्स नहीं, बल्कि मैनेजमेंट संकाय के अंतर्गत आता है। ऐसी ही समस्या एप्लाइड केमिस्ट्री के विषय में हुई। इसमें इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री व फार्मा केमिस्ट्री वालों ने भी गलत जानकारी दे फॉर्म जमा कर परीक्षा पास कर ली। लाइफ साइंस में भी बॉटनी, जूलॉजी के साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग, एमएससी फॉर्मा, एग्रीकल्चर व जेनेटिक साइंस वालों ने फॉर्म में गलत जानकारी दे परीक्षा पास कर ली। अंत में जब डॉक्यूमेंट मंगवाए गए तो यह फॉर्म में भरी गई डिग्री प्रस्तुत ही नहीं कर पाए।
प्रदेश के मूल निवासी ही नहीं
इसके साथ ही कई अभ्यर्थी ऐसे थे, जिनके पास जाति का सर्टिफिकेट प्रदेश के बाहर था और वो मूल निवासी भी नहीं थे, जबकि सेट परीक्षा में मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी शर्त है। 20 अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्होंने आवेदन-पत्र और रिजल्ट के बाद आयोग द्वारा भरवाई जानकारी अलग-अलग भरी। यह बाद में इसके डॉक्यूमेंट प्रस्तुत ही नहीं कर पाए। कई अभ्यर्थी चार मौके देने के बाद भी यह डॉक्यूमेंट देने के लिए नहीं आए। आयोग ने इन सभी को अयोग्य करार देकर सर्टिफिकेट जारी नहीं करने का निर्णय लिया है।
घोषित कर दी थी शर्त
आयोग ने सेट के विज्ञापन में ही साफ कर दिया था कि यदि कोई आवेदक परीक्षा के किसी भी चरण या परीक्षाफल घोषित होने के बाद भी इनिजिबल पाया जाता है या उसके द्वारा दी गई जानकारी गलत पाई जाती है तो उसका रिजल्ट निरस्त किया जा सकेगा। यह भी शर्त लगाई गई थी कि परीक्षा आवेदन-पत्र और रिजल्ट के बाद ऑनलाइन जानकारी में भी भिन्नता पाई गई तो उसका आवेदन भी अस्वीकृत कर दिया जाएगा। सेट की परीक्षा के फॉर्म भरने के दौरान केवल मार्कशीट और डॉक्यूमेंट संबंधी जानकारी ही देना थी। इस समय वैरिफिकेशन की कोई शर्त या अनिवार्यता नहीं थी। इसी कारण यह समस्या आई।
नियमानुसार अयोग्य..
जिन अभ्यर्थियों ने पोस्ट ग्रेजुएशन की गलत जानकारी देकर परीक्षा दी थी, उन्हें नियमानुसार अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इन्हें अब सेट का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा।
- डॉ. मदनलाल लाल गोखरू, एक्जाम कंट्रोलर - एमपीपीएससी