- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों में आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होने से भर्ती प्रक्रिया भले ही तेज हुई हो, लेकिन आवेदन करने वाले अधिकांश अभ्यार्थी भरे गए पदों के लिए अपात्र होने के कारण बाद में बाहर कर दिए जाते हैं। यह स्थिति पहली स्टेज के लिए ठीक है, लेकिन इंटरव्यू तक पहुंच जाने के बाद बाहर करने पर पहली स्टेज में पात्र अभ्यर्थियों को भी जबरन में कॉम्पटिशन करना पड़ता है।
मध्यप्रदेश खेल और युवा कल्याण विभाग के अंतर्गत होने वाली भर्तियों की लिखित परीक्षा के बाद चुने गए 210 अभ्यर्थियों को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने इंटरव्यू से पहले बाहर कर दिया है। बाहर किए गए नौ अभ्यर्थियों ने इस पर आपत्तियां लगाई, लेकिन खारिज हो गई है। इससे पहले एमपीपीएससी द्वारा निकाले गए प्यून के एक पद के लिए आए 849 में से 839 आवेदन अपात्र हो गए थे।
328 आवेदकों की लिस्ट की थी जारी
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने 7 फरवरी को मध्यप्रदेश खेल और युवा कल्याण सेवा परीक्षा 2017 के 25 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके बाद इसकी लिखित परीक्षा 12 मार्च को ली गई थी, जिसका रिजल्ट 8 मई को घोषित हुआ था। इसके बाद 328 आवेदकों की लिस्ट जारी की गई थी।
144 नहीं दे पाएं सर्टिफिकेट
आयोग ने 1 सितंबर तक इन सभी को व्यक्तिगत विवरण, पत्रक, अनुप्रमाणन फॉर्म की प्रति के साथ शैक्षणिक अर्हताओं के साथ अन्य अर्हताओं के दस्तावेज जमा करने के लिए कहा था। निश्चित तारीख के बाद 63 अभ्यर्थी ऐसे रहे, जिन्होंने दस्तावेज जमा नहीं करवाए हैं। वहीं, सबसे ज्यादा 144 अभ्यर्थी ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं या फिर सीनियर प्रतियोगिताओं में सहभागिता के सर्टिफिकेट नहीं दे पाए, जबकि नियुक्ति के विज्ञापन में साफ तौर पर यह सर्टिफिकेट होना जरूरी था। इस प्रकार कुल 328 आवेदकों में से 210 को आयोग ने लिखित परीक्षा में पास होने के बाद भी इंटरव्यू से बाहर कर दिया है। आयोग ने इन अभ्यर्थियों को 15 दिन के अंदर अपनी सफाई का मौका दिया था। इसमें से नौ ने अपनी सफाई पेश की। इनकी सफाई को भी पूर्व के कारणों के कारण ही मान्य नहीं किया गया।
फॉर्म भरते समय ही चूक
इससे यह बात साफ हो रही है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को ऑनलाइन फॉर्म भरवाने के समय ही अभ्यर्थियों की शैक्षणिक और अन्य योग्यताओं को चेक कर लेना चाहिए। इसके फॉर्म में ही साफ तौर पर उल्लेख होना चाहिए कि उक्त शैक्षणिक योग्यताएं नहीं होने पर वह फॉर्म जमा ही नहीं करें। इसके लिए सॉफ्टवेयर में चेक लगाए जा सकते हैं। साथ ही मार्कशीट और अन्य योग्यताओं की स्कैनिंग कॉपी लगाने की अनिवार्यता करने से भी इस पर रोक लगाई जा सकती है।
जबरन कॉम्पटिशन करते हैं
वास्तव में सैकड़ों अभ्यर्थी ऐसे होते हैं, जो अपात्र होने पर भी फॉर्म भर देते हैं। इसके बाद वह प्रारंभिक या लिखित परीक्षा भी दे देते हैं। सामान्यत: लोक सेवा आयोग इंटरव्यू के पहले अभ्यर्थियों के ओरिजनल और पात्रता के अन्य दस्तावेज मंगवाकर चेक करता है। इस समय अपात्र अभ्यर्थी यह प्रस्तुत नहीं कर पाते है और वह प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं। यह अभ्यर्थी अपात्र होते हुए भी पात्र अभ्यर्थियों के लिए जबरन में कॉम्पटिशन पैदा करते हैं। साथ ही इससे कटऑफ भी बढ़ जाता है और पात्र अभ्यर्थी बाहर हो जाते हैं। यह तो बाहर हो जाते हैं, लेकिन पात्र अंदर नहीं आ पाते हैं।