16 Apr 2024, 19:00:28 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- रफी मोहम्मद शेख

इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में परीक्षा और मूल्यांकन सेंटर के अधिकारी एक ओर जहां परीक्षा व रिजल्ट को टाइम पर लाने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कॉपियां जांचने वाले प्रोफेसर्स का लाखों का पेमेंट अटका है। इसके पीछे कारण पेमेंट की राशि ट्रांसफर करने वाले बाबू का छुट्टी पर होना है। कोई दूसरा उसके स्थान पर काम करने के लिए तैयार नहीं है। उधर, कॉपियां जांचने के कई सालों के बिलों का हिसाब भी खत्म नहीं हुआ है, इससे भी नाराजी है। विवि में कॉपी जांचने के बाद मूल्यांकन सेंटर से संबंधितों के बिलों का वैरिफिकेशन करने के बाद गोपनीय विभाग में भेजे जाते हैं। इसके बाद इन बिलों को ऑडिट विभाग में जांच के लिए भेजा जाता है। वहां से पास होने के बाद इन्हें फाइनेंस डिपार्टमेंट में पेमेंट के लिए भेजा जाता है।
 
पहले चेक से होता था
पहले इस प्रक्रिया के बाद इन बिलों का चेक बनाकर भुगतान किया जाता था, जिन्हें संबंधित प्रोफेसर्स को भेजा जाता था। चेक बनाने का काम तीन कर्मचारी करते थे। गत दो वर्षों से इस प्रक्रिया को बदल दिया है। चेक बनाने की प्रक्रिया में काफी समय लगने और पेमेंट में भी देरी होने से इसे डिजिटल कर दिया है। इसके अंतर्गत कॉपी जांचने वाले प्रोफेसर्स के बैंक अकाउंट नंबर और कोड के माध्यम से सीधे रुपया ट्रांसफर किया जाता है।
 
एक ही कर्मचारी के जिम्मे काम
उक्त कार्य केवल एक कर्मचारी नितिन के जिम्मे है। विवि ने इसके लिए एक सॉफ्टवेयर भी बनाया है। इसमें सारे प्रोफेसर्स के मोबाइल नंबर से लेकर बैंक अकाउंट तक की जानकारी फीड है। जैसे ही उसका बिल ऑडिट डिपार्टमेंट से पास होकर आता है, उसके बाद उसकी राशि को सॉफ्टवेयर के माध्यम से संबंधित के अकाउंट में तुरंत ट्रांसफर कर दी जाती है। इसमें हिसाब-किताब रखने में भी आसानी होती है और चेक गुम होने या गलत बनने की संभावना भी नहीं रहती है।
 
50 से ज्यादा फाइलें
उक्त कार्य करने वाला कर्मचारी एक माह से बीमारी के कारण अवकाश पर है। इससे फाइनेंस डिपार्टमेंट में 50 से ज्यादा ग्रुप फाइलें इकट्ठा हो गई हैं और लाखों के पेमेंट अटक गए हैं। इसमें न केवल कॉपी जांचने वाले प्रोफेसर्स के बल्कि पेपर सेट करने से लेकर अन्य परीक्षा व गोपनीय कार्यों के बिल भी हैं। मूल्यांकन सेंटर ने फाइनेंस डिपार्टमेंट से कोई अल्टरनेटिव व्यवस्था करने की मांग की, लेकिन डिपार्टमेंट ने दूसरे कर्मचारी को सॉफ्टवेयर चलाना नहीं आने की बात कह इसे टाल दिया है। उधर, पेमेंट नहीं होने से प्रोफेसर्स में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
 
डेढ़ करोड़ से ज्यादा बाकी
इससे पहले भी पिछले चार सालों में तीन बार प्रोफेसर्स अपने पुराने बकाया बिलों का भुगतान नहीं होने के कारण कॉपी जांचने का बहिष्कार जैसे कदम उठा चुके हैं। इसके बाद कुलपतियों ने मूल्यांकन सेंटर को पुराना पेमेंट एक माह में करने के निर्देश दिए थे, लेकिन तीन साल से यह एक माह में पूरा ही नहीं हो रहा है। प्रोफेसर्स के पांच सालों के बिल का भुगतान नहीं हुआ है। कुल मिलाकर करीब डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान बाकी है। खास समस्या प्राइवेट कॉलेजों के प्रोफेसर्स के साथ है, क्योंकि गवर्नमेंट कॉलेजों में तो बनाए गए सेंटर से ही भुगतान हो रहा है।
 
रिकॉर्ड देखकर कार्रवाई
कर्मचारी के छुट्टी पर होने से फाइलें पास होने के बाद भी पेमेंट ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि पिछले साल के बिलों का बकाया भुगतान कर दिया जाए। हम जिनके भी पेमेंट बाकी है उनका रिकॉर्ड देखकर कार्रवाई कर रहे हैं। 
- डॉ. राजेंद्र सिंह, प्रभारी, मूल्यांकन सेंटर

 

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