नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को गंगा नदी में प्रदूषण पर सख्त रुख अख्तियार किया। एनजीटी ने हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा के किनारे से 100 मीटर के दायरे को नो डेवलपमेंट जोन घोषित करने का निर्देश दिया है। न्यायाधिकरण के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए गंगा में हो रहे प्रदूषण पर कड़ी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, गंगा की स्थिति आश्चर्यजनक रूप से बहुत खराब है।
इस नदी की सफाई की कोशिशों के बावजूद जमीन पर उसका असर नहीं दिख रहा है। एनजीटी ने अपने विस्तृत आदेश में गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा के किनारे से 100 मीटर के दायरे को नो डेवलपमेंट जोन घोषित करे। साथ ही गंगा किनारे से 500 मीटर के दायरे में कूड़ा डालने पर रोक लगाए। अदालत ने कहा, पिछले दो साल में गंगा सफाई के लिए 7000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन अब भी यह गंभीर पर्यावरण मुद्दा बना हुआ है। इस पीठ में जस्टिस गोयल के अलावा जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस आरएस राठौड़ शामिल थे।
एनजीटी ने गंगा सफाई के लिए चल रही योजनाओं में प्रगति पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए इसकी निगरानी किए जाने की जरूरत है। पीठ ने आदेश दिया कि एक सर्वे कराया जाए और पता किया जाए कि आम लोग गंगा में प्रदूषण के बारे में क्या विचार रखते हैं।