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सरोगेसी विनियमन विधेयक में निकट संबंधी परिभाषा हो विस्तारित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 20 2019 4:38PM | Updated Date: Nov 20 2019 4:38PM
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नई दिल्ली। अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने देश में सरोगेसी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाये गये विधेयक सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 का समर्थन करते हुये इस विधेयक में निकट संबंधी की परिभाषा को विस्तारित करने की अपील की है। वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाय रेड्डी ने राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा को बुधवार को आगे बढ़ाते हुये कहा कि उनका दल इस विधेयक का समर्थन करता है लेकिन निकट संबंधी की परिभाष को विस्तारित करने की जरूरत है क्योंकि अब समाज में निकट संबंधी के इसके लिए तैयार होने की संभावना बहुत कम होती जा रही है लेकिन बहुत करीबी दोस्त या अन्य रिश्तेदार इसके लिए तैयार हो सकते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों को इसमें भारतीयों की तरह अधिकार दिये जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने सरोगेसी को एक चिकित्सकीय मसला बताते हुये कहा कि इस विधेयक में कई खांमियां है और इसको दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने भी निकट संबंधी की परिभाषा को विस्तारित करने पर जोर दिया और कहा कि उनका दल इस विधेयक का सैद्धांतिक समर्थन करता है। आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि इस विधेयक से सरोगेट मॉ अधिक प्रभावित होंगी क्योंकि उन पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है।
 
इसके साथ इसमें निकट संबंधी की बहुत सीमित परिभाषा दी गयी है जबकि वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी निकट संबंधी नहीं चाहता है कि उसके रिश्तेदार माता पिता बने। अधिकांश लोगों की नजर ऐसे दंपत्ति की संपत्ति पर होती है। इसके मद्देनजर इसकी परिभाषा को विस्तारित किया जाना चाहिए और कार्यालय में एक साथ काम करने वाले सहयोगी, पांच वर्ष से अधिक पुराने मित्रों और दूर के रिश्तेदारों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
 
बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह ने भी इसका समर्थन करते हुये कहा कि इसमें निकट संबंधी की परिभाषा को विस्तारित किया जाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि इसमें नवजात शिशु को लेकर कोई विशेष उल्लेख नहीं है लेकिन शिशु और माता का भावनात्मक लगाव होता है। तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेडला रवीन्द्र कुमार ने भी इस विधेयक का समर्थन किया। भारतीय जनता पार्टी के विकास महात्मे ने कहा कि स्थायी समिति की अधिकांश सुझावों को इसमें सम्माहित किया गया है।
 
इसके तहत राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बोर्ड बनाने का प्रावधान है। कांग्रेस की एमी आग्निक ने इस विधेयक में बहुत खांमियां है और इसको पारित कराने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें निकट संबंधी की परिभाषा, सरोगेट मॉ, नवजात शिशु आदि के बारे में विस्तार से उल्लेख नहीं है। नवजात शिशु एक जीवित उत्पाद माना गया है जबकि सरोगेट मॉ और शिशु में भावनात्मक लगाव की अनदेखी नहीं की जा सकती है। 
 
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