नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी और इस बारे में याचिका जम्मू-कश्मीर में पार्टी के नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी की ओर से दायर की जायेगी। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को यह जानकारी तारिगामी की उपस्थिति में पत्रकारों को दी। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान में इलाज करा रहे तारिगामी ने अपनी नज़रबन्दी के बाद पहली बार पत्रकारों से बातचीत में मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर के लोगों की मदद से ही आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है न कि उन्हें जेल में बंद करके और वहां जनजीवन को ठप करके।
उन्होंने कहा कि वह देश की जनता की अदालत में यह अपील कर रहे हैं कि आज जम्मू- कश्मीर में जो कुछ हो रहा वह राष्ट्र हित में नहीं है। गौरतलब है कि येचुरी को जब गत दिनों तारिगामी से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने नहीं दिया गया तो उच्चतम न्यायालय ने उनकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद तारिगामी को अपने इलाज़ के लिए दिल्ली आने की अनुमति दी और अब अदालत ने उन्हें कश्मीर जाने की अनुमति भी दे दी है। येचुरी ने पार्टी मुख्यालय में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि तारिगामी को लेकर उन्होंने जो याचिका दायर की थी उसमें अदालत ने सरकार को सात दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस दिया था लेकिन सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं उन्होंने राज्यपाल को जो पत्र लिखा था, उसका भी उन्हें जवाब नहीं मिला और तारिगामी को जो पत्र लिखा था, उसे भी उन्हें नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि तारिगामी की और से वे लोग उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किये जाने को चुनौती देंगे, क्योंकि यह कश्मीर की जनता के साथ विश्वासघात है। सरदार पटेल की उपस्थिति में कश्मीर के भारत में विलय का समझौता हुआ था, इसलिए यह कहना गलत है कि पटेल विलय के खिलाफ थे और पंडित जवाहर लाल नेहरु इसके लिए जिम्मेदार थे। यह पूछे जाने पर कि उच्चतम न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद वह कश्मीर कब जायेंगे, तारिगामी ने कहा कि अभी उन्होंने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है लेकिन वह कश्मीर और दिल्ली के बीच आते-जाते रहना चाहते हैं तथा देश के विभिन्न हिस्सों में भी जाकर अपनी बात कहना चाहते हैं।