मुंबई। इंग्लैंड टीम पहली बार वर्ल्ड कप का चैंपियन बना। फाइनल मुकाबले के आखिरी ओवर में ओवर थ्रो के कारण इंग्लैंड को चार सहित कुल छह रन मिले, जिसके दम पर इंग्लैंड ने मुकाबला सुपर ओवर में खींच लिया शायद ही किसी को विश्व कप के ऐसे फाइनल की उम्मीद हो। सुपर ओवर में गया मुकाबला भी बराबरी भी रहा और सबसे अधिक बाउंड्री लगाने के कारण इंग्लैंड विश्व विजेता बन गया। हालांकि न्यूजीलैंड के पास सुपर ओवर से पहले ही मैच जीतकर खिताब अपने नाम करने का मौका था, लेकिन आखिरी ओवर के उस ओवर थ्रो ने पूरा पासा ही पलट दिया।
आखिरी ओवर की आखिरी तीन गेंदों पर इंग्लैंड को नौ रन की जरूरत थी। जब डीप मिडविकेट से थ्रो की गई गेंद डाइव लगाते समय बेन स्टोक्स के बल्ले से लग गई और बाउंड्री पार पहुंच गई। इसके बाद अंपायर कुमार धर्मसेना ने अपने साथी अंपायर इरासमुस से चर्चा करने के बाद इंग्लैंड को छह रन दिए, जिसमें दो रन तो बल्लेबाजों ने दौड़ कर लिए और चार रन ओवरथ्रो से मिले।
इस छह रन के कारण 241 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही इंग्लैंड ने निर्धारित ओवर में इतने ही रन बनाकर बराबरी कर ली और मैच सुपर ओवर में खिंच गया, जो टाई पर खत्म हुआ और फिर इसके बाद तकनीकी रूप से मेजबान ने अपना पहला खिताब जीता।
ईएसपीएन क्रिकइंफो के अनुसार जिस थ्रो पर इंग्लैंड को छह रन मिले थे, वहां पर सिर्फ पांच रन ही होने चाहिए थे। खेल के नियम के अनुसार इंग्लैंड को एक रन अधिक मिला और सिर्फ एक रन ने अंतर पैदा कर दिया। ओवर थ्रो या फील्डर के जानबूझकर एक्ट के लिए बनाए गए नियम 19.8 के अनुसार यदि ओवर थ्रो या फिर फील्डर के जानबूझ कर किए गए एक्ट से बाउंड्री तक गेंद पहुंच जाती है तो इसका फायदा दूसरी टीम को मिलता है।
रन लेते समय रन का फायदा तभी मिलता है, जब बल्लेबाज ने थ्रो से पहले रन पूरा कर लिया हो य, यदि वह थ्रो से पहले ही क्रॉस कर जाते हैं। तक उनको इस फायदा मिलेगा। लेकिन फाइनल में जब डीप से मार्टिन गप्टिल ने थ्रो की थी, तब बेन स्टोक्स और उनके साथ आदिल रशीद ने दूसरे रन के लिए एक दूसरे को क्रॉस नहीं किया था और जहां दो रन मिले, वहां सिर्फ एक रन ही होना चाहिए थे। हालांकि इसके बाद स्टोक्स ने न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन से माफी भी मांगी। वहीं कीवी कप्तान ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ऐसे मौके पर यह वापस कभी नहीं होगा। यह बहुत ही शर्मनाक रहा।