नई दिल्ली। वुड पैनल क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी ग्रीनप्लाई इंजीनियरिंग लिमिटेड ने अपनी इंजीनियर्ड पैनल डिविजन (ईपीडी) की रीब्रांडिंग करने की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि 800 करोड़ रुपए के निवेश से आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में दुनिया का पांचवा बड़ा मीडियम डेंसिटी फाइबर (एमडीएफ) संयंत्र बन कर तैयार हो गया है और अगले महीने से इसमें व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शोभन मित्तल ने संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा करते हुए कहा कि नए संयंत्र की वार्षिक क्षमता 3.60 लाख क्यूबिक मीटर है और अगले महीने इसमें व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने के साथ ही उनकी कंपनी क्षमता बढ़कर 5.40 लाख क्यूबिक मीटर वार्षिक हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि चित्तूर जिले में स्थित संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा एमडीएफ संयंत्र है। अभी इसमें परीक्षण के तौर पर उत्पादन चल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में अभी एमडीएफ पैनल की लोकप्रियता कम है लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी मांग अधिक है। अपने यहां अभी भी प्लाईवुड की मांग अधिक है जबकि एमडीएफ प्लाईवुड से बहुत सस्ता पड़ता है। इसका अधिकांश उपयोग फर्नीचर और दरवाजा आदि बनाने में होता है। उन्होंने कहा कि चित्तूर जिले में स्थित संयंत्र से एमडीएफ का निर्यात किया जायेगा।
अभी उनकी कंपनी उत्तराखंड में स्थित संयंत्र में एमडीएफ का उत्पादन कर रही है और अभी वहीं से निर्यात किया जा रहा है। इस संयंत्र में 500 प्रत्यक्ष और दो हजार अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। मित्तल ने कहा कि ग्रीन पैनलमैक्स और ग्रीन फ्लोरमैक्स की रीब्रांडिंग का ऐलान किया है। अब से इनके उत्पाद जैसे एमडीएफ, वुड फ्लोर्स, प्लाईवुड, वेनीर्स एवं दरवाज़ों का निर्माण, वितरण और विपणन ग्रीनपैनल के तहत किया जाएगा। आने वाले समय में अपार संभावनाओं के मद्देनज़र नए ब्राण्ड की अवधारणा पेश की गई हैं। ग्रीनपैनल आधुनिक, बदलावकारी और बहुमुखी वुडपैनल समाधान पेश करता है।