नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 13 करोड़ के घोटाला मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने की अर्जी का शुक्रवार को केंद्र सरकार ने पुरजोर विरोध किया। एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि पीएनबी धोखाधड़ी मामले की जांच जारी है और सरकार नहीं चाहती कि जांच शीर्ष अदालत की देखरेख में की जाए। एटर्नी जनरल ने विनीत ढांडा की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा, क्या यह न्यायोचित है कि कोई व्यक्ति जनहित याचिका दायर करके यह कहे कि जांच की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराया जाना चाहिए। अदालतों द्वारा समानांतर जांच नहीं की जा सकती। वेणुगोपाल ने कहा कि अदालतें अब इस तरह के आदेश समय-समय पर जारी करती रही हैं, लेकिन इससे जांच एजेंसियों का हौसला पस्त होता है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील जे पी ढांडा ने दावा किया कि इस जनहित याचिका में अदालत की निगरानी में जांच की मांग नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि शायद एटर्नी जनरल ने याचिका पढ़ी नहीं है। इस पर न्यायालय ने मामले की सुनवाई नौ अप्रैल के लिए मुल्तवी करते हुए कहा, हम इसकी सुनवाई शुक्रवार को नहीं करेंगे। कोई व्यक्ति एटर्नी जनरल को यह नहीं कह सकता कि उन्होंने याचिका पढ़ी है या नहीं। इस तरह की दलीलें अस्वीकार्य हैं। याचिकाकर्ता ने पीएनबी घोटाले के आरोपियों- नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को दो माह के भीतर भारत वापस लाने के निर्देश देने का अनुरोध न्यायालय से किया है।