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सीओएआई के दूरसंचार मंत्री को लिखे पत्र पर रिलायंस जियो का कड़ा एतराज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 31 2019 2:40AM | Updated Date: Oct 31 2019 2:40AM
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नई दिल्ली। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने भारतीय सेलुलर आपरेटर्स संघ के दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को लिखे पत्र को उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना जैसा बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई है । रिलायंस जियो इंफोकाम लिमिटेड की तरफ से पी के मित्तल ने सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज को तीन पृष्ठों का बुधवार को पत्र लिखा । पत्र में सीओएआई के दूरसंचार उद्योग में कथित रुप से अभूतपूर्व संकट के लिए दूरसंचार मंत्री को भेजे गए पत्र का उल्लेख है । मित्तल ने पत्र में लिखा है कि यह जानकार बड़ा धक्का लगा कि आपने कल रात एक पत्र जारी किया है ।
 
उन्होंने कहा कि जब आपको यह स्पष्ट रुप से बता दिया गया था कि रिलायंस जियो इस संबंध में अपना विस्तृत कथन 30 अक्टूबर की सुबह तक मुहैया करा देगी ।  इतना ही नहीं कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के पत्र जारी करने के संबंध में मांगी गई जानकारी पर आपने गलत ढंग से इसे उचित ठहराने का प्रयास किया । उन्होंने कहा कि कंपनी हालांकि अभी तक यह नहीं समझ सकी है कि मध्यरात्रि में पत्र जारी करने की क्या जरुरत पड़ी।  मित्तल ने इसे सीओएआई की तरफ से विश्वास तोड़ने का गंभीर मामला बताया ।
 
इससे रिलायंस जियो और सीओएआई के बीच रिश्ते तल्ख् होंगे।  मित्तल ने कहा कि दूरसंचार मंत्री को लिखे गए पत्र पर रिलायंस जियो से कोई राय नहीं ली गई । कंपनी ने सीओएआई के दूरसंचार मंत्री को लिखे पत्र को एक तरफ से उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना बताया है । उन्होंने कहा कि सीओएआई के पत्र से यह झलकता है कि वह उद्योग का संगठन न होकर दो कंपनियों का मुखौटा है । उन्होंने कहा कि कंपनी सीओएआई के दूरसंचार मंत्री को लिखे पत्र का कड़ा विरोध करती है ।
 
कंपनी का अनुरोध है कि वह दूरसंचार मंत्री को रिलायंस जियो के विचारों से भी अवगत कराये जिससे  संगठन की निष्पक्षता बनी रहे । कंपनी ने कहा है कि उसने इस क्षेत्र में 1.75 लाख रुपए का इक्विटी निवेश किया है जबकि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का निवेश नेटवर्क जरुरतों को देखते हुए पर्याप्त नहीं है । इसलिए इन कंपनियों के नाकाम होने का दोष सरकार पर नहीं मढ़ा जा सकता है ।
 
कंपनी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को देश का कानून बताते हुए कहा है कि दूरसंचार कंपनियां अपनी संपत्ति बेचकर सरकार के बकाया का भुगतान कर सकती हैं। मित्तल ने कहा कि रिलायंस जियो का मानना है कि उच्चतम न्यायालय का आदेश अंतिम है और इसे लागू किया जाना चाहिए । 
 
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