नई दिल्ली। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने यह जानकारी दी है। बता दें कि अक्टूबर के बाद से एयर इंडिया के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के भी पैसे नहीं होंगे। सचिव ने कहा, 'सरकार का मानना है कि अगर निवेशक कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं तो ठीक है लेकिन मैं इस बारे में तभी बताऊंगा, जब इस पर फैसला ले लिया जाएगा। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि मैं इसमें सरकार की तरफ से कोई अड़चन नहीं देखता हूं।'
पहले भी एयर इंडिया को बेचना चाहती थी सरकार- बीते वर्ष भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है।
नीति आयोग ने दिया था प्रस्ताव- कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था।
प्रति माह वेतन पर खर्च होते हैं 300 करोड़ रुपए- बता दें कि एयर इंडिया को एक महीने में 300 करोड़ रुपए कर्मचारियों को वेतन के रूप में देने होते हैं। इतना ही नहीं, मई माह में भी एयर इंडिया के कर्मचारियों को वेतन 10 दिनों की देरी से मिला था। दरअसल इस वित्त वर्ष एयर इंडिया 9,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भुगतान करने पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है। हालांकि उसके स्वीकार होने की संभावना कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार इस कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।