बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की हत्या मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) से कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के ख़लिाफ राज्य सरकार की अपील बुधवार को ख़ारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश पी रामचंद्रन और न्यायमूर्ति पी पी साहू की पीठ ने संबंधित मामले में पूर्व में सुरक्षित रखा फैसला सुनाया। युगलपीठ ने राज्य सरकार की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी कि एनआईए एक्ट के प्रावधान में स्पष्ट है कि उसे जाँच का अधिकार है और उसकी कानूनी बाध्यता को मानना अनिवार्य है।
उन्होंने राज्य सरकार को भीमा मंडावी हत्याकांड से जुड़े मामले की जाँच और अभिलेख एनआईए को सौंपने के आदेश दिए। इससे पहले 23 अक्टूबर को न्यायमूर्ति आरसीएस सामन्त की एकलपीठ ने एनआईए के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को 15 दिनों के भीतर भीमा मंडावी मामले से जुड़े सारे दस्तावेज एनआईए को सौंपने के आदेश दिए थे। राज्य सरकार ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश के पीठ के समक्ष अपील की थी।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच राज्य सरकार की ओर से मामले में पैरवी कर रहे महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के कार्यालय की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि यह कानूनी प्रावधान है, लेकिन राज्य राज्य सरकार ने एनआईए एक्ट को ही चुनौती दी है। इसलिए अब उच्चतम न्यायालय में अपील की जायेगी।