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बाजार में विदेशी सब्जियों की भरमार, किसान हो रहे मालामाल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 10 2019 12:06PM | Updated Date: Oct 10 2019 12:06PM
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नई दिल्ली। इस वर्ष लम्बे समय तक मानसून के सक्रिय होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाहरी हिस्से के किसान पोषक तत्वों और औाषधीय गुणों से भरपूर विदेशी सब्जियों की फसल समय से पहले लेकर भारी अर्थिक लाभ अर्जित कर रहे हैं। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार परम्परागत सब्जियों को महीनों खाकर उबे लोगों में विदेशी सब्जियों ब्रोकली , लाल पत्तागोभी , पोकचाई और लिटस को लेकर खासा आकर्षण है और इसकी उपलब्धता से उसका स्वाद भी बदल जाता है। 
 
आम तौर पर किसानों को सितम्बर में पौधाशाला में ऐसी सब्जियों के पौधे तैयार करने और उसे खेतों में लगाने का समय मिल जाता है। संस्थान के वैज्ञानिक अशोक कुमार और एस आर सिंह ने पौधाशाला में जल्दी पौधा उगाने की तकनीक का किसानों को प्रशिक्षण दिया है। किसानों को बहुत कम मूल्य के टनल में पौधाशाला बनाकर पौधों को उगाने और कोमल पौधों को बचाने की तकनीक का प्रशिक्षण दिया है । कुछ गांवों  में इस तकनीक का व्यावसायिकरण भी हुआ है।
 
इसके तहत बांस और प्लास्टिक की फिल्म से टनल का निर्माण किया जाता है । बरसात के दौरान खुले खेत में पौधा  तैयार करना बहुत मुश्किल है। बहुत से किसानों ने ब्रोकली , लाल पत्तागोभी , पोकचाई और लिटस की व्यावसायिक खेती शुरु कर दी है और वे इन नयी सब्जियों का बाजार बनाने में  भी कामयाब रहे हैं। इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बोलबाला है जिसके कारण इन सब्जियों के बीज काफी महंगे हैं। आम तौर पर विदेशी सब्जियों को अक्टूबर में उपलब्ध कराया जा सकता है लेकिन इस बार भारी वर्षा और मानसून के लम्बे समय तक सक्रिय रहने के कारण किसान सब्जियों के पौधे समय पर नहीं लगा सके।
 
कुछ मामलों में किसान पौधाशाला में पौधा भी नहीं लगा सके। कुछ स्थानों में किसान खुले स्थानों में पौधाशाला का निर्माण करते हैं वे बार बार वर्षा के कारण ऐसा नहीं कर सके लेकिन नवाचार तकनीकों का प्रयोग करने वाले किसान  पौधा तैयार करने के साथ ही उसे जल्दी खेतों में लगाने में सफल रहे। गर्मी के मौसम के दौरान जल्दी सब्जी उगाने के लिए इस संरचना में मामूली बदलाव किया जाता है । कड़ाके की ठंड के दौरान उत्तर भारत में बीज में अंकुरण काफी मुश्किल होता है।
 
जब तापमान में वृद्धि होती है और मौसम अनुकूल होता है तभी बीज में अंकुरण होता है । कम कीमत वाले टनल को फारमर्स फस्ट और अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत गांवों में बढावा दिया जा रहा है। किसान अच्छी तरह से जानते हैं कि समय से  पहले बाजार में सब्जियों के आने से  उनका बेहतर मूल्य मिल सकता है।
 
बाद में अधिक मात्रा में ये  सब्जियां बाजार में आ जाती है जिसके कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है और उन्हें  पहले की तुलना में अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है । वर्षो से सब्जियों की  खेती करने वाले किसानों को जल्दी पौधा तैयार करने की जानकारी भी होती है । सीमित संसाधान में उच्च आय के कारण यह तकनीक किसानों में लोकप्रिय हो रही है। पोषक और औषधीय गुणों के कारण भविष्य में बाजार में इसकी अच्छी मांग होने की संभावना है।
 
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