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मोहम्मद रफी ने सिर्फ 1 रुपए में कई फिल्मों में गाना गाया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 31 2018 2:17PM | Updated Date: Jul 31 2018 2:17PM
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मुंबई। हिंदी सिनेमाजगत में चार दशक से भी ज्यादा समय तक लोगों के दिलों पर कब्जा जमाने वाले मशहूर गायक मुहम्मद रफी की 31 जुलाई को डेथ एनिवर्सरी है। मोहम्मद रफी बॉलीवुड का वह कोहिनूर है जिसकी चमक से आज भी बॉलीवुड की गलियां रौशन हैं। मोहम्मद रफी के गाने आज भी लोगों की जुबां पर आते ही मानों समा सा बन जाता है। वैसे तो मोहम्मद रफी के ज्यादातर गाने सुपरहिट रहे लेकिन उनके गाए कुछ नगमें आज भी दिल की धड़कनों को बढ़ा देते हैं। ये गाने हैं आज मौसम बड़ा बेईमान है, तारीफ करूं क्या उसकी, चाहूंगा मैं तुझे, अभी ना जाओ छोड़कर।    
 
प्यार से लोग 'फेकू' कहकर बुलाते थे
बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि मधुर आवाज के धनी मोहम्मद रफी को प्यार से लोग 'फेकू' कहकर बुलाते थे।  कहा जाता है कि रफी साहब ने अपने गांव में फकीर के गानों की नकल करते-करते गाना गाना सीखा था। मोहम्मद रफी ने अपनी पहली परफॉर्मेंस बतौर गायक 13 साल की उम्र में दी थी। के एल सहगल ने उन्हें लाहौर में एक कंसर्ट में गाने की अनुमति दी थी।  साल 1948 में मोहम्मद रफी ने राजेन्द्र कृष्णन द्वारा लिखा हुआ गीत 'सुन सुनो आए दुनिया वालों बापूजी की अमर कहानी' गाया था।
 
यह गाना देखते ही देखते इतना बड़ा हिट हो गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपने घर पर यह गाना गाने के लिए निमंत्रण दिया था। मुहम्मद रफी के निधन के दिन मुंबई में तेज बारिश हो रही थी। कहा जाता है कि निधन की अंतिम यात्रा की रिकॉर्डिंग को हिंदी फिल्म में इस्तेमाल भी किया गया है। मोहम्मद रफी की अंतिम यात्रा इतने बड़ी स्तर पर की गई थी कि लोग आज भी याद करते है। उस वक्त करीब 10 हजार लोग यात्रा में शरीक हुए थे। 
 
एक्टिंग में भी हाथ आजमाया था
मोहम्मद रफी ने न केवल गायिकी बल्कि एक्टिंग में भी हाथ आजमाया था। रफी साहब ने 'लैला मजनू' और 'जुगनू' फिल्म में बतौर एक्टर काम किया था। यह दोनों ही फिल्में बॉक्स आॅफिस पर हिट हुई और ताबड़तोड़ कमाई की। मोहम्मद रफी ने ज्यादातर गाने संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए। उन्होंने उनकी फिल्मों के लिए करीब 369 गाने गाए थे, जिसमें से 186 गाने सोलो शामिल हैं। यहां तक कि रफी ने आखिरी गाना भी इन्हीं के लिए गाया था। वह गाना था - 'श्याम फिर क्यों फिर उदास'।
 
इस फिल्म का नाम 'आस पास' है।  कहा जाता है कि रफी साहब किसी भी संगीतकार से यह नहीं पूछते थे कि उन्हें गाना गाने के लिए कितना पैसा देंगे। यहां तक कि कभी कभी सिर्फ 1 रुपए में भी कई फिल्मों में गाना गाया है।  मोहम्मद रफी ने न केवल हिंदी बल्कि कई भाषाओं में गाना गाया है। इन भाषाओं में असमीज, कोंकणी, भोजपुरी, अंग्रेजी, तेलुगु, मैथिली और गुजराती शामिल हैं।
 
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