कोलकाता। अभिनेता आदिल हुसैन का मानना है कि सिनेमा विभाजन का ‘‘ पीड़ित ’’ बन गया है क्योंकि 1947 की पृष्ठभूमि पर सीमा के एक तरफ बनने वाली फिल्में सरहद के दूसरी ओर ‘ सही तरीके से रिलीज ’ नहीं हो पातीं। अभिनय के लिए समीक्षकों और दर्शकों की प्रशंसा पाने वाले अभिनेता हुसैन ‘ इंग्लिश विंग्लिश ’ और ‘ लाइफ ऑफ पाई ’ जैसी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिये जाने जाते हैं।
अभिनेता का मानना है कि निर्माताओं और वितरकों को आपस में बात करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि एक ओर बनने वाली फिल्में दोनों देशों के दर्शकों तक पहुंचे। अपनी आगामी बांग्ला फिल्म ‘ माटी ’ के ट्रेलर लॉन्च से इतर उन्होंने कल संवाददाताओं से कहा , ‘‘ एक तरह से सिनेमा भी विभाजन का ‘‘ पीड़ित ’’ बन गया है। यह दुखद है कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के लोग जिन मुद्दों का सामना करते हैं , उन पर बनने वाली फिल्मों को सीमा पार समुचित रिलीज नहीं मिल पाती। ’’
लीना गंगोपाध्याय एवं सैबाल बनर्जी द्वारा निर्देशित ‘ माटी ’ में पाओली डैम एवं आदिल हुसैन मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी कहती है जो अपनी जड़ें तलाशने के लिये बांग्लादेश की यात्रा करती है। अभिनेता खुद असम से हैं और उनका मानना है कि असमिया भाषा में बनी फिल्में भी समुचित तरीके से रिलीज नहीं हो पातीं क्योंकि आमतौर पर ऐसी फिल्में पूर्वोत्तर राज्य के महज एक हिस्से में ही रिलीज तक सिमट जाती हैं। हुसैन अपनी फिल्म ‘ मुक्ति भवन ’ के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार (विशेष ज्यूरी उल्लेख) जीत चुके हैं।