मुंबई। सुरीली आवाज की मल्लिका श्रेया घोषाल का जन्म 12 मार्च 1984 को राजस्थान के रावतभाटा में हुआ था। श्रेया घोषाल 34 साल की हो गई हैं। उन्होंने बेहद कम उम्र में शोहरत की बुलंदियों को छू लिया। अपनी जादुई आवाज के दम पर श्रेया ने कई अवार्ड्स अपने नाम किए। उन्होंने अब तक करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में अपनी आवाज दी।
श्रेया घोषाल के पिता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र इंजीनियर के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी मां साहित्य में पोस्टग्रेजुएट हैं और घर संभालती हैं। श्रेया ने 4 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। उन्हें उस समय बड़ा ब्रेक मिला जब जी टीवी के शो सा रे गा मा पा का खिताब जीता।
रिएलिटी शो का खिताब अपने नाम करने के बाद श्रेया को मौका दिया निर्देशक संजय लीला भंसाली ने। इस शो को गायक सोनू निगम, और कल्याण जी जज कर रहे थे। उन्होंने ही श्रेया के माता-पिता को मुंबई आने के लिए राजी किया। इसके बाद श्रेया ने 18 महीनों तक कल्याण जी के साथ संगीत की शिक्षा ली और क्लासिकल म्यूजिक ट्रेनिंग भी जारी रखी।
साल 2002 में श्रेया घोषाल को संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म 'देवदास' में मौका दिया। फिल्म 'देवदास' के गानों 'बैरी पिया', 'छलक छलक', 'डोला रे', 'सिलसिला ये चाहत का' और 'मोरे पिया' से सभी का मन मोह लिया। फिल्म के सभी गाने हिट हुए। श्रेया के गाए हुए गाने इतने हिट हुए कि वह हर किसी के दिलों पर राज करने लगीं।
आज अपने इन्हीं सुरीले गीतों की वजह से वह बड़ी से बड़ी पार्श्व गायिकाओं की सूची में शुमार हो गईं लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि संजय लीला भंसाली की मां ने श्रेया को टीवी पर गाते हुए देखा और उन्होंने ही संजय को श्रेया का नाम रिकमंड किया। मां के कहने पर भंसाली ने श्रेया को गाने के लिए बुलाया और उसके बाद श्रेया की झोली में बैरी पिया गाना आ गया।
लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानने वाली श्रेया घोषाल ने हिंदी के अलावा, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, और भोजपुरी भाषाओं के गीतों में अपनी आवाज दी है। श्रेया ने अपने बचपन के दोस्त शिलादित्य मुखोपाध्याय से 2015 में शादी की। उन्हें खाली समय में घूमना और किताबें पढ़ना पसंद है।