भोपाल। इंदौर की रहने वाली एक और छात्रा ने भोपाल के होस्टल संचालक अश्विनी शर्मा पर दरिंदगी का आरोप लगाया है। छात्रा ने आरोपी पर आर्थिक अनियमितता करने का भी आरोप लगाया है। इससे पहले इंदौर में ही रहने वाली चौथी छात्रा ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। चौथी पीड़िता के मुताबिक आरोपी ने उसे जबरदस्ती पोर्न दिखाकर 6 महीने तक यौन शोषण किया। उधर, एसआईटी के प्रमुख भोपाल दक्षिण के एसपी राहुल कुमार लोढा ने सोमवार को बताया कि आरोपी अश्विनी को अदालत में पेश कर फिर एक दिन के रिमांड पर लिया है।
पीड़ित युवतियों को रविवार को छात्रावास ले जाया गया था। विशेषज्ञों की मौजूदगी में उनके कथन हो गए हैं।
आरोपी के मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। किसी अन्य पीड़िता के सामने आने के सवाल पर एसपी लोढा ने बताया कि जांच में यदि किसी अन्य पीड़िता के संबंध में पता चलता है, तो उससे भी पूछताछ की जा सकती है। भोपाल के दिव्यांग छात्रावास के संचालक अश्विनी शर्मा के विरुद्ध धार जिले की कोतवाली थाना पुलिस ने एक पीड़िता की शिकायत पर दुष्कर्म, जबकि इंदौर जिले की हीरानगर थाना पुलिस ने दो बहनों की शिकायत पर छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के तहत, तो एक पीड़ित युवती की शिकायत पर कुकर्म, दुष्कर्म और अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की हैं। अश्विनी भोपाल के अवधपुरी क्षेत्र का निवासी है और वहीं पर छात्रावास का संचालन करता है।
बॉयज हॉस्टल के नाम पर मिला अनुदान
भोपाल में हुए शेल्टर होम रेप केस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जिस होस्टल में मूकबधिर युवतियों के साथ यह केस हुआ है उसका रजिस्ट्रेशन बॉयज हॉस्टल के नाम पर था और प्रदेश सरकार उसे बॉयज हॉस्टल के नाम पर ही अनुदान दे रही थी। बताया जा रहा है कि आरोपी अश्विनी शर्मा सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों का अनुदान ले रहा था।
कांग्रेस आज करेगी आंदोलन
इस मामले को लेकर कांग्रेस मंगलवार को प्रदेश भर में आंदोलन करेगी। कांग्रेस सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव के इस्तीफे की मांग कर रही है। कांग्रेस ने इस मामले में सीबीआई जांच कराए जाने की भी मांग की है। भोपाल में हुए इस कांड का खुलासा पिछले गुरुवार को हुआ था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर अफसोस जताते हुए शुक्रवार सुबह मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ बैठक की थी। उन्होंने अफसरों को सख़्त निर्देश दिए थे कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई समय पर हो।