भोपाल। मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब ये स्पष्ट हो गया है कि इस बार संसद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे कद्दावर चेहरे नहीं दिखाई देंगे। भाजपा ने इस बार श्रीमती महाजन के स्थान पर अपना गढ़ कही जाने वाली सीट इंदौर से इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है।
लालवानी का मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी से होगा। श्रीमती महाजन के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद इस सीट पर भाजपा को अपना प्रत्याशी तय करने में लंबा समय लगा। भाजपा के ही दूसरे गढ़ विदिशा में श्रीमती स्वराज के उत्तराधिकारी के तौर पर पार्टी ने अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव पर भरोसा जताया है। श्रीमती स्वराज भी लोकसभा चुनावों की घोषणा के पहले ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुकीं थीं। ऐसे में इस सीट पर भी पार्टी ने लंबी कवायद के बाद भार्गव के नाम के तौर पर अपने पत्ते खोले।
उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल से है। प्रदेश का भोपाल संसदीय क्षेत्र इस बार अपने रोचक मुकाबले के चलते देश के उन चुनिंदा संसदीय क्षेत्रों में शामिल हो गया है, जिस पर 23 मई को मतगणना के दिन पूरे देश की नजरें रहेंगी। यहां से कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वर्ष 2003 में प्रदेश से कांग्रेस की विदाई के बाद से सिंह पहली बार चुनावी राजनीति में उतर रहे हैं। उनका सामना देश भर में 'हिंदुत्व' के चेहरे के तौर पर उभरीं मालेगांव विस्फोट में कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुकीं भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से है।
हालांकि साध्वी प्रज्ञा अपने बयानों के चलते खुद को प्रत्याशी घोषित किए जाने के दिन से ही सुर्खियों में बनी हुई हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा पर कांग्रेस की ओर से कमलनाथ की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र नकुलनाथ को सौंपी गई है। नकुलनाथ के सम्मुख भाजपा ने इस सामान्य सीट पर आदिवासी नेता और पूर्व विधायक नत्थन शाह को उतारा है। छिंदवाड़ा से सटे जबलपुर संसदीय क्षेत्र पर दोनों दलों के दो दिग्गज आमने-सामने हैं। यहां पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिह और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।