नई दिल्ली। पिछले एशियन गेम्स में भारत ने बैडमिंटन स्पर्धा में सिर्फ कांस्य पदक जीता था। इस बार विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के कारण खिलाड़ियों को तैयारी का मौका नहीं मिला है, तो सफर मुश्किल भरा लग रहा है। एशियन गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा की बात करें, तो चीन का दबदबा रहा है। सबसे अधिक पदक जीते हैं।
इस बार भी चीन से भारतीय शटलरों को चुनौती मिलेगी। हालांकि पीवी सिंधू का मानना है कि भारतीय खिलाड़ियों को एशियाई खेलों की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला, लेकिन 2014 टूर्नामेंट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में उनकी टीम सफल रहेगी। पिछली बार टीम स्पर्धा में भारतीय महिला टीम ने कांस्य पदक जीते थे। सारे एकल खिलाड़ी फ्लॉप रहे। हालांकि जकार्ता में इस बार परिस्थितियां बदल सकती है।
साइना, सिंधू और श्रीकांत से उम्मीदें
हाल ही में संपन्न विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के चार खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचे, जो एक रिकॉर्ड है। हालांकि सिर्फ सिंधू ही फाइनल में जगह बनाने में सफल रही। हालांकि इसके बाद भी साइना, श्रीकांत, प्रणय से एकल स्पर्धा में भारत को पदक की उम्मीद होगी। सिंधू भी इस बार इतिहास रच सकती है। सिंधू इस वर्ष शानदार फॉर्म में हैं और कई टूर्नामेंटों के फाइनल में जगह बना चुकी है। पुल्लेला गोपीचंद के कैंप में आने के बाद साइना नेहवाल भी कमबैक की है और भारत के लिए पदक दिला सकती हैं।
सैयद भारत के एकमात्र पदक विजेता
एशियन गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा में भारत ने एशियाई खेलों की महिला एकल स्पर्धा में अब तक कभी कोई पदक नहीं जीता है। आठ बार के पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन सैयद मोदी एशियाई खेलों में भारत के एकमात्र व्यक्तिगत पदक विजेता हैं, जिन्होंने 1982 में नयी दिल्ली खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था।
गायत्री पर होंगी विशेष नजरें
भारत के सबसे सफल बैडमिंटन कोच पुल्लेला गोपीचंद की बेटी गायत्री गोपीचंद पहली बार एशियन गेम्स में हिस्सा लेने जा रही है। गायत्री पिता के नाम को वहां पर आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगी। हालांकि उनके चयन को लेकर जिस तरह से सवाल उठाए गए थे, इसको देखते हुए उनके लिए भी बेहतर प्रदर्शन कर पाना चुनौती होगी।