23 Apr 2024, 22:52:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Business

ऑटो डीलरों को हुआ 2,000 करोड़ का घाटा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 3 2019 2:09AM | Updated Date: May 3 2019 2:09AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

मुंबई। देश में  कारों की बिक्री घटने के अलावा ऑटोमोटिव रिटेल सेक्टर को कम से कम 2,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। पिछले दो साल में 205 डीलरों ने कामकाज बंद कर दिया, जिससे एक अनुमान के मुताबिक 3,000 लोगों की नौकरी चली गई। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि घाटा कहीं ज्यादा हुआ है। उन्हें यह डर भी है कि डीलरों को बैंकों ने जो कर्ज दिया था, वह बैड लोन में बदल रहा है। भारत में डीलरों का मार्जिन 2.5-5 पर्सेंट है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 8-12 पर्सेंट है। बड़े शहरों में किराया और एंप्लॉयीज की सैलरी बढ़ने से डीलरों की परेशानी बढ़ी है। इंश्योरेंस और फाइनेंस कंपनियों से उनका मार्जिन घट रहा है और गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स लागू होने के बाद से डीलरों को कैश की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। कार और दोपहिया कंपनियों के बिक्री का लक्ष्य हासिल नहीं करने के बावजूद डीलरशिप नेटवर्क बढ़ने भी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा। 
 
टॉप 20-30 मार्केट्स में हर दूसरे डीलर को हो रहा घाटा
इस बारे में फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशंस के अध्यक्ष आशीष काले ने बताया कि सुस्त बिक्री के बीच कैश की कमी, मिसमैनेजमेंट और शहरों में डीलरशिप की संख्या बढ़ने से डीलरों के लिए वजूद बचाए रखना मुश्किल हो गया है। काले ने कहा, 'जिस तेजी से डीलरशिप बंद हो रही हैं, वह अभूतपूर्व है। जीएसटी से जहां अधिक वर्किंग कैपिटल लगानी पड़ रही है, वहीं गाड़ियों का स्टॉक रखने पर भी डीलरों का खर्च बढ़ा है। इसके साथ कैश की कमी ने हमारी परेशानी बढ़ा दी है।' जीएसटी के लागू होने से पहले डीलरों के पास सेल्स टैक्स और कारों पर वैट चुकाने के लिए कुछ महीनों की मोहलत होती थी। जीएसटी में उन्हें शुरू में ही टैक्स चुकाना पड़ता है। इस वजह से उन्हें कारोबार करने के लिए अधिक पूंजी लगानी पड़ रही है।
 
हाल के वर्षों में मेट्रो और बड़े शहरों या टॉप 20-30 मार्केट्स में हर दूसरे डीलर को घाटा हो रहा है। दूरदराज के इलाकों के डीलरों की हालत अभी ठीक है, लेकिन गाड़ियों की बिक्री घटने से उन्हें भी लगाई गई पूंजी से रिटर्न हासिल करने में अधिक समय लग रहा है। 2017-18 में निसान मोटर कंपनी के 38 और ह्यूंदै मोटर इंडिया के 23 डीलरों ने कामकाज बंद किया। मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और होंडा कार्स इंडिया के भी 9-12 डीलरों ने इस दौरान दुकान बंद की। महाराष्ट्र और बिहार में क्रमश: 56 और 26 डीलरशिप बंद हुईं। केरल और राजस्थान में 19 डीलरों को कामकाज समेटना पड़ा। वित्त वर्ष 2013 से 2018 के बीच पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में 4 पर्सेंट और दोपहिया में 5 पर्सेंट सीएजीआर (चक्रवृद्धि दर) से बढ़ोतरी हुई, जबकि कंपनियों ने दोहरे अंकों में सेल्स ग्रोथ का लक्ष्य रखा था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डीलरों पर सबसे अधिक दबाव इसी वजह से पड़ा है।
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »