सनातन धर्म मे मकर-संक्रांति बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व हैं। वैसे तो यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन हिंदू धर्म में अक्सर कई बार त्योहारों की तारीख और पूजा के शुभ मुहूर्त को लेकर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाना चाहिए। सनातन धर्म मे मकर-संक्रांति को सूर्य की आराधना का महापर्व माना जाता है। मकर-संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है।
इस दिन लोग खिचड़ी का सेवन करते है। लेकिन क्या आपको पता है मकर-संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों खायी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी का सम्बंध ग्रहों से होता हैं। खिचड़ी में इस्तेमाल सफेद चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। और काली दाल को शनि का प्रतीक माना जाता हैं। इसमे मिक्स हरी सब्जी बुध होती है। खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है।
ऐसे में यदि कोई व्यक्ति मकर-संक्रांति के दिन खिचड़ी खाता है, तो उसकी ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। जानकारी के लिए बता दे कि मकर-संक्रांति को 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन लोग अपनी छतों पर पतंग उड़ाते है। सर्दी के इस मौसम में छत पर पतंग उड़ाने सूर्य का प्रकाश शरीर पर पड़ता है जो शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है।