उज्जैन। रुद्राक्ष भगवान शिव का अंश माना जाता है। शिवजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। मान्यता है कि अगर कोई भक्त रोज एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाता है तो उसकी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। काफी लोग शिवजी की कृपा पाने के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं।
मनीष शर्मा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। इस संबंध में कहा जाता है कि एक बार शिवजी ध्यान में बैठे थे और उस समय उनकी आंखों से आंसु गिरे। ये आंसु ही रुद्राक्ष के वृक्ष में संशोधित हो गए हैं। इसीलिए इसे शिवजी का प्रतीक माना जाता है। बाजार में 1 मुखी से 14 मुखी तक के रुद्राक्ष मिलते हैं। सभी का अलग-अलग महत्व है। जानिए रुद्राक्ष से जुड़ी खास बातें। रुद्राक्ष पहनने वाले ध्यान रखें ये बातें- जो लोग रुद्राक्ष पहनते हैं, उन्हें गलत कामों से बचना चाहिए।
मांसाहार न करें और सभी का सम्मान करें। अपने माता-पिता की सेवा करें। नशा न करें। अगर इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है तो रुद्राक्ष से शुभ फल नहीं मिल पाते हैं।
रुद्राक्ष की श्रेणियां- रुद्राक्ष आकार के अनुसार 3 तरह के होते हैं। जो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर होते हैं, उन्हें सबसे उत्तम माना गया है। जिस रुद्राक्ष का आकार बेर के समान होता है, वह मध्यम फल देने वाला माना गया है। चने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्नलिखित श्रेणी में गिना जाता है।
ऐसे रुद्राक्ष न पहनें- जिस रुद्राक्ष को कीड़ों ने खराब कर दिया हो या टूटा-फूटा हो, या पूरा दौर न हो। जिसमें उभरे हुए दाने न हों, ऐसी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। जो रुद्राक्ष में अपने आप देवता के लिए छेद हो गया हो, वह सबसे अच्छा रहता है।