आषाढ़ पूर्णिमा के समाप्त होते ही 17 जुलाई से श्रावण कृष्णपक्ष का प्रवेश हो चुका है। इस वर्ष चार सोमवारों से सुसज्जित श्रावण मास 29 दिवसीय होगा। पुराणों में 4 माह का विशेष महत्व बताया गया है। यह माह क्रमशः कार्तिक, माघ ,वैशाख और सावन हैं। मान्यता है कि जब जगत नियंत्रा भगवान विष्णु शयन हेतु राजा बलि के लोक, पाताल में गमन करते हैं तब जगत के पोषण की जिम्मेदारी भगवान शिव पर आती है, और यही से प्रारंभ होता है श्रावण मास।
पौराणिक मान्यताएं भी है कि श्रावण मास के दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत से आकर पृथ्वी पर विचरण करते हैं। श्रावण मास में शिव अभिषेक तथा पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व माना गया है।