ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 27 नक्षत्रों में आर्द्रा को जीवनदायी नक्षत्र माना गया है। आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ गीला होता है। इस नक्षत्र से धरती में नमी होती है। इसी नक्षत्र से कृषि कार्य का श्रीगणेश होता है। भारत कृषि प्रधान देश है, अतः 27 नक्षत्रों में अन्न-जल से युक्त इस नक्षत्र का विशेष महत्व है। आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि दिन शनिवार को भारतीय स्टैंडर्ड टाइम सायंकाल 5:00 बज के 18 मिनट पर वृश्चिक लग्न में भगवान भुवन भास्कर आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस समय तात्कालिक तिथि पंचमी तात्कालिक नक्षत्र धनिष्ठा योग विष्कुंभ तथा चंद्रमा कुंभ राशि में स्थित होगा।
ज्योतिष-विज्ञान के अनुसार, सूर्य जब आर्द्रा में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है, जो उत्तम वर्षा का प्रतीक है। यह नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। आर्द्रा के प्रथम एवं चतुर्थ चरण का स्वामी बृहस्पति है तथा द्वितीय और तृतीय चरण का प्रतिनिधित्व शनि करता है। मेदिनी ज्योतिष तथा सप्त नाड़ी चक्र के अनुसार आद्रा नक्षत्र के आधार पर ज्योतिष शास्त्र में मानसून का निर्धारण किया जाता है तथा माना जाता है कि सूर्य के आद्रा में प्रवेश के साथ ही मानसून का आगमन होता है। इस वर्ष सूर्य देव आद्रा में प्रवेश पूर्णा तिथि पंचमी को कर रहे हैं जो 100% सामान्य वर्षा के योगों को बता रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र होने से भारत के कुछ राज्यों में वर्षा का अतिरेक तो कहीं पर सूखे जैसी स्थितियां निर्मित हो सकती है। मध्यप्रदेश में ओला पाला से कृषि की हानि संभावित है। तैतिल करण में आद्रा का प्रवेश उत्तम वर्षा के योगों को बता रहा है। सूर्य देव के आद्रा में प्रवेश के समय प्रदेश के क्षितिज पर वृश्चिक लग्न का 16 वां अंश उदित होगा। मानसून का आगमन कुछ देर से हो सकता है तथा कुछ क्षेत्रों में खंड बृष्टि के भी योग बन रहे हैं।
वृश्चिक लग्न पर एक शुभ एवं एक पाप ग्रह के प्रभाव के चलते मध्यप्रदेश में अच्छी वर्षा के योग दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश के कुछ स्थानों पर खंड बृष्टि के योग भी बनेंगे। देश के कुछ स्थानों में भीषण बाढ़ की स्थिति या निर्मित हो सकती हैं। इस वर्ष आद्रा से लेकर स्वाति नक्षत्र पर्यंत वर्षा काल के नक्षत्रों की एक विशेषता होगी कि वर्षा में व्यतिक्रम होने से प्रथम वर्षा के बाद कृषकों को दूसरी वर्षा के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। तात्कालिक नक्षत्रों के आधार पर यदि देखा जाए तो मध्यप्रदेश में इस माह के अंत तक मानसून आने की प्रबल संभावना है तथा तापमान में भी इसी समय से गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। 7 जुलाई को बुध के वक्री होते ही मौसम में तेजी से परिवर्तन होगा तथा संपूर्ण जुलाई माह वर्षा के लिए अनुकूल होगा। अगस्त माह का प्रथम एवं द्वितीय सप्ताह वर्षा के लिए अनुकूल नहीं है लेकिन उसके पश्चात अच्छी वर्षा के संकेत मेदिनी ज्योतिष दे रही है।। ज्योतिर विद राजेश साहनी